Sculptor in Shravasti: श्रावस्ती में पिछले दो साल से कोरोना का दंश झेल रहे मूर्तिकारों के लिए योगी सरकार की तरफ से थोड़ी राहत मिली है. कुछ जरूरी शर्तों के साथ इस बार देवी पांडालों में छोटी छोटी मूर्तियां रखने के लिये छूट मिली है, जिसको देखते हुए मूर्तिकारों के चेहरे खिल उठे हैं, जो जनपद के मूर्तिकार हैं उनकी आजीविका मूर्तियों को बनाने तथा उनकी बिक्री पर ही चलती है. पिछले दो साल से इन मूर्तिकारों को काफी नुकसान हुआ है. लेकिन इस बार थोड़ी छूट मिली है तो मूर्तिकार दिन रात मेहनत में जुटे हुए हैं. आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है, जिसको लेकर कारीगर अपनी कला को अंतिम रूप दे रहे हैं.
मूर्तियों की प्रयोगशाला
जनपद श्रावस्ती के इकौना में एक परिवार ऐसा है जिनका काम मूर्तियां बनाना है और इसी से इनके परिवार का पालन पोषण होता है. कस्बा निवासी चन्द्र प्रकाश पटवा ने करीब 8 साल पहले मूर्तियों को बनाने की कला कलकत्ता जाकर सीखी थी और अब जनपद में उनकी अच्छी खासी प्रयोगशाला है. जहां पर इस वक्त सैकड़ों मूर्तियां बनकर तैयार हैं. चन्द्र प्रकाश बताते हैं कि, एक मूर्ति को तैयार करने में 60 फीसदी का खर्चा मूर्ति के रंग रोगन और फिनिशिंग पर आता है, बाकी 20% लेबर मजदूर को चला जाता है और जो 20 % बचता है वही इनको फायदा होता है. यहां दूर दराज से लोग मूर्तियां खरीदने आते हैं. प्रयोगशाला में एक से बढ़ कर एक कलाकृति है. मूर्तिकार ने मां दुर्गा के नव स्वरूपों को बखूबी तराशा है जो देखने में एकदम सजीव दिखाई पड़ती हैं.
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