बस्ती. भारत सरकार की मंशा पर उनकी ही मशीनरी पानी फेरती नजर आ रही है. जिस कार्यदायी संस्था को जिम्मेदारी सौंपी गई निर्माण कार्य करने के लिए वही कार्यदायी संस्था सरकार को चूना लगा रही है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर पंचायत को स्वच्छता की चादर ओढ़ाने की कवायद प्रशासन चला रही है और स्वच्छता मिशन के तहत शासन ने लगभग 39 लाख रुपये का बजट भी अवमुक्त करके एमआरएफ (मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) सेंटर बनाने का टेंडर दिया है लेकिन आईएएस और प्रशिक्षु एसडीएम अनुपम मिश्र प्रभारी के निरीक्षण में घटिया सामान से निर्माण कराते मिले कार्यदाई संस्था को कड़ी फटकार लगाते हुये कार्य को रोक दिया गया और सारे मैटीरियल का सैम्पल लेकर जांच के लिए भेज दिया गया. भवन निर्माण निम्न कैटेगरी के सामान का इस्तेमाल कराने के कारण निर्माण कार्य बंद करा दिया.


घटिया मैटिरियल लगा रहा था ठेकेदार


बताते चलें कि इस सेंटर में शहर का कूड़ा करकट जुटाकर गीला कचरा और सूखा कचरा अलग-अलग किया जाएगा. गीले कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाएगा और सूखे कचरे छंटाई की जाएगी. छंटनी के बाद मिलने वाले बिकाऊ सामान को अलग किया जाएगा और छांटा जाएगा. इसके माध्यम से पालिका अपनी आय बढ़ाएगी. जिससे वह नगर पंचायत को स्वच्छ रख सके लेकिन इस योजना में निर्माण के समय ही कार्यदायी संस्था द्वारा बड़े पैमाने पर घटिया मैटिरियल प्रयोग करने की पोल खुल गयी और यह स्वच्छ भारत सरकार योजना अब जांच के दायरे मे आ कर लटक गयी.


जेई साइड पर नहीं जाते हैं


वहीं, प्रभारी इओ ने औचक निरीक्षण मे पाया कि जहां निर्माण कार्य चल रहा है वह साइड पर जेई कभी भी नहीं जाते हैं. यदि समय से जेई. साइड देखने जाते तो यह स्थिति न आती. फिलहाल अब भवन निर्माण कार्य को रोक दिया गया है, अब देखना है कि जांच रिपोर्ट के बाद नगर पंचायत ईओ साहब सरकारी धन की रिकवरी करा पाते हैं कि नहीं.


संस्था से की जाएगी रिकवरी


जब इसके बारे में प्रशिक्षु एसडीएम अनुपम मिश्रा प्रभारी ईओ नगर पंचायत से बात की गयी तो उन्होंने बताया की औचक निरीक्षण मे कार्यदायी संस्था द्वारा निर्माण मे प्रयुक्त हो रही सामग्री निम्न गुणवत्ता की पायी गयी है, सैम्पल ले लिया गया है और उसकी क्वालिटी की जांच के लिए लैब में भेज दिया गया है और भवन निर्माण कार्य को रोक दिया गया, संबंधित जे.ई.को निर्देशित किया गया कि जल्द से जल्द कार्य की जांच रिपोर्ट दें. कहा कि यदि गुणवत्ता खराब पाई गयी तो कार्यदायी संस्था से रिकवरी की कार्रवाई सुनिश्चित करवाई जायेगी.


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