प्रयागराज (मोहम्मद मोइन). धर्म की नगरी प्रयागराज में सूर्यग्रहण से एक दिन पहले गंगा और यमुना के साथ ही एक तीसरी धारा भी दिखाई दी. कुछ देर तक नज़र आने वाली इस दूधिया धारा को जिसने भी देखा, वह देखता रह गया. हालांकि तमाम सवाल खड़े करने वाली यह रहस्यमयी तीसरी धारा सिर्फ कुछ मिनटों तक ही दिखाई दी.


इस दौरान वहां मौजूद छगन निषाद नाम के एक नाविक ने इसकी कुछ तस्वीरें अपने मोबाइल फोन पर रिकार्ड कर लीं. ये तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं और इन्हें लेकर लोग जमकर कयासबाजियां कर रहे हैं. कोई इसे विलुप्त हो चुकी सरस्वती की धारा बता रहा है तो कोई ग्रहण का चमत्कार तो कोई कुछ और.


बहरहाल यह धारा कुछ भी हो, लेकिन इसने तमाम सवाल पैदा कर दिए हैं. सवाल यही उठ रहा है कि अलग सी दिखने वाली तीसरी धारा का सच क्या है.



कभी सरस्वती थी संगम की तीसरी नदी


गौरतलब है कि प्रयागराज की पहचान गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम से है. मान्यताओं के मुताबिक़ पहले यहां इन तीन नदियों का मिलन होता था. हालांकि सरस्वती सदियों पहले ही विलुप्त हो चुकी है और मौजूदा समय में यहां सिर्फ गंगा और यमुना का ही मिलन होता है. संगम पर जिस जगह दोनों नदियां आपस में मिलती हैं, उसे साफ़ तौर पर अलग अलग रंग की वजह से देखा जा सकता है. गंगा का पानी मटमैला सा नज़र आता है तो यमुना का हल्का नीले रंग का. तस्वीरों में जो तीसरी धारा दिख रही है, वह पूरी तरह दूधिया है.


स पर रिसर्च की जरूरत


धर्माचार्य स्वामी आनंद गिरि के मुताबिक़ यह प्रामाणिक है कि संगम पर कभी सरस्वती की मौजूदगी हुआ करती थी, लेकिन सदियों पहले विलुप्त होने के बाद नज़र आने वाली इस धारा को बिना किसी प्रमाणिकता के सरस्वती मानना उचित नहीं है. इस पर रिसर्च की ज़रुरत है। संगम पर यह अद्भुत तस्वीरें खींचने वाले छगन निषाद व दूसरे लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार संगम पर तीसरी धारा देखी और इसे देखते ही वह हैरत में पड़ गए थे. छगन के मुताबिक़ यह तस्वीरें सूर्य ग्रहण से ठीक एक दिन पहले बीस जून को दोपहर के वक्त की हैं.


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