राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री या अन्य नेताओं की सुरक्षा में पुलिस या अन्य सुरक्षा बल तैनात हों, यह तो समझ में आता है, लेकिन किसी पेड़ को 24 घंटे सुरक्षा दी जाए तो यह सुनने में थोड़ा अजीब लगता है। बोधगया में महाबोधि मंदिर स्थित महाबोधि पीपल के पेड़ की सुरक्षा में 24 घंटे 530 जवान लगे रहते हैं।


बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था का यह सबसे बड़ा केंद्र है। बोधिवृक्ष 2653 साल पुराना है। महाबोधि पीपल के पेड़ का पहरा इतना कड़ा होता है कि इस पवित्र वृक्ष के आस-पास जवानों की मंजूरी के बगैर परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। मंदिर और बोधिवृक्ष की सुरक्षा में बिहार मिलिट्री पुलिस की चार कंपनी को लगाया गया है। एक कंपनी में 120 जवान तैनात होते हैं। इसके साथ जिला पुलिस बल के भी 50 जवान तैनात रहते हैं।


यहीं हुई थी ज्ञान की प्राप्ति
सुरक्षा की मॉनिटरिंग करने के लिए एक डीएसपी और एक इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारी को प्रभारी बनाया गया है। इसके साथ ही एक दर्जन सहायक पदाधिकारी तैनात किए गए हैं। कहा जाता है कि ईसा से 531 साल पहले राजकुमार सिद्धार्थ को इसी बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इसे बोधिवृक्ष (ज्ञान का वृक्ष) कहा गया। बोधिवृक्ष की टहनियां इतनी विशाल हैं कि इसे लोहे के 13 पिलर के सहारे खड़ा किया गया है।



कई बार आया संकट
इस वृक्ष को काटने का पहला प्रयास सम्राट अशोक की पत्नी तिस्सरक्षिता ने कलिंग युद्ध के पश्चात निजी स्वार्थों के चलते किया था, लेकिन उसका यह प्रयास विफल रहा और वृक्ष एक बार फिर लहलहा उठा। फिर सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपने बेटे महेन्द्र और बेटी संघमित्रा को बोधिवृक्ष की टहनियां देकर श्रीलंका भेजा। श्रीलंका के अनुराधापुरम में जाकर बोधिवृक्ष टहनी को लगाया गया। वहां यह पेड़ आज भी मौजूद है।


नुकसान पहुंचाने की कोशिश
बोधिवृक्ष की चौथी पीढ़ी को नुकसान पहुंचाने का प्रयास 7 जुलाई 2013 में आतंकियों ने बम धमाका करके किया। आतंकियों ने 9 सीरियल धमाके करके पूरे महाबोधि मंदिर को लहुलूहान करने की नापाक कोशिश की थी। लेकिन उनका यह प्रयास विफल रहा। आतंकी हमले के बाद से बोधिवृक्ष को सुरक्षा में जवानों का पहरा लगा दिया।



वैज्ञानिक रखते हैं सेहत का ध्यान
ऐतिहासिक और पौराणिक बोधिवृक्ष की देखरेख महाबोधि मंदिर प्रबन्धकारिणी समिति के जिम्मे है। इसे हरा-भरा रखने के लिए देहरादून वन अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक साल में चार बार स्वास्थ्य जांच करने आते हैं। पेड़ स्वस्थ है या नहीं, इसकी जांच के बाद उसी आधार पर इलाज होता है। वृक्ष को पोषक तत्व देने के लिए मिनरल्स का लेप और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है।