प्रयागराज,मोहम्मद मोइन। व्हाट्सएप्प के जरिये देश में जिन सत्रह लोगों की जासूसी कराए जाने का मामला सुर्ख़ियों में है, उनमे प्रयागराज की सीमा आजाद का नाम भी शामिल है। सीमा आजाद ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट के साथ ही दस्तक पत्रिका की संपादक भी हैं। सीमा आजाद और उनके पति विश्व विजय को इलाहाबाद की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट साल 2012 में माओवादी संगठनों से संबंध रखने और उन्हें भड़काऊ व प्रतिबंधित साहित्य देकर देशविरोधी काम करने के मामले में दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। दोनों इन दिनों हाईकोर्ट से मिली जमानत पर हैं।
सीमा आजाद का कहना है कि व्हाट्सएप्प की तरफ से उन्हें कई मैसेज व इंटरनेशनल वीडियो कॉल्स आई थीं, लेकिन उन्होंने इसे रूटीन मैसेज मानते हुए इग्नोर कर दिया था। उनके मुताबिक यह न सिर्फ उनकी निजता का हनन है, बल्कि इस तरह से व्हाट्सएप्प को ट्रैक कर उनके मोबाइल फोन में कुछ विवादित सामाग्री भी डालकर किसी साजिश का शिकार भी बनाया जा सकता है। सीमा आज़ाद का साफ आरोप है कि यह काम सरकार ही करा सकती है। सरकार यह काम इसलिए करा रही है क्योंकि वह लगातार सरकार की गलत व फासिस्टवादी नीतियों का विरोध कर रही थीं।
उन्होंने आशंका जताई है कि उन्हें किसी साजिश का शिकार बनाया जा सकता है और उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। सीमा ने इसके खिलाफ कोर्ट जाकर अदालत से गुहार लगाने और जनता के बीच जाकर उसे सरकार के इस कदम के बारे में जानकारी देकर उसे जागरूक करने का काम करेंगी। उनका कहना है कि वह इस बारे में जासूसी की जद में आने वाले दूसरे लोगों से संपर्क कर आगे की रणनीति तय करेंगी।