Deoband:  उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. इस मसले पर देवबंद के दारुल उलूम में रविवार को उत्तर प्रदेश के मदरसों का सम्मेलन चल रहा है. पहले यह सम्मेलन 22 सितंबर को होना था. लेकिन बाद में इसकी तारीख बदल कर 18 सितंबर कर दी गई. इसमें 250 से अधिक मदरसों के प्रतिनिधि और अन्य शामिल हो रहे हैं. ये लोग सर्वे को लेकर अपनी आगे की रणनीति बनाएंगे. सम्मेलन को देखते हुए आयोजन स्थल के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.


इससे पहले कहां हुई थी बैठक


इससे पहले इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने दिल्ली में छह सितंबर को एक बैठक ली थी. बैठक में मदरसों के सर्वे का विरोध किया गया था. बैठक में सरकार के इस फैसले पर नजर रखने और सरकार से बातचीत करने के लिए एक 12 सदस्यों वाली स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया गया था. यह कमेटी मदरसों से संपर्क बनाकर उनकी कमियों को दूर करने का काम भी करेगी.






स्टेयरिंग कमेटी का गठन


स्टेयरिंग कमेटी में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी, जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी, जमीयत उलमा हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, दारुल उलूम वक्फ देवबंद के मोहतमिम मौलाना मोहम्मद सुफियान कासमी, दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम मुफ्ती राशिद आजमी, मौलाना अशफाक, आजमी, नियाज फारुकी, कमाल फारुकी, मुज्तबा फारूक, मौलाना अशहद रशीदी और मौलाना अजहर मदनी को शामिल किया गया है.


उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण 10 सितंबर से शुरू हो गया है. सर्वे करने वाली टीम में जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी और शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल होंगे. सर्वे का काम पांच अक्तूबर तक होना है. इस सर्वे की रिपोर्ट जिलाधिकारी की ओर से 25 अक्तूबर तक शासन को भेज देना है. 


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