यूपी विधानसभा उपचुनाव: 38 फीसदी उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस, एडीआर की रिपोर्ट में सामने आए आंकड़ें
पार्टियां भले ही कहें कि राजनीति का अपराधीकरण नहीं होने देंगे. लेकिन उनकी कथनी और करनी में फर्क है. यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में बाहुबली प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. एडीआर ने रिपोर्ट जारी कर सियासी दलों की हकीकत बताई.
लखनऊ. सियासत में सियासी दलों को बाहुबली खूब भाते हैं और जब बात चुनाव की हो तो पार्टियां मसल्स और मनी पावर वाले लोगों को अपना उम्मीदवार बनाती है. यूपी में हो रहे 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में एक बार फिर कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. एडीआर की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक इन चुनाव में सियासी दलों ने 38 फ़ीसदी अपराधियों को टिकट दिया है तो वहीं चुनाव लड़ रहे 39 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं.
15 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मुकदमे
उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होगी. सियासी दल भले ही चुनावी भाषणों में साफ और स्वच्छ राजनीति की बात करते हो लेकिन शायद खुद पर इसे लागू नहीं करते. तभी तो जब टिकट देने की बारी आती है तो ऐसे व्यक्ति को पार्टी कैंडिडेट बनाती है जिसका या तो आपराधिक इतिहास हो या फिर करोड़पति हो. शायद सियासी दल यह पूरी तरह से मान चुके है कि चुनाव जीतने के लिए उसे मसल्स और मनी पावर की ही जरूरत है. एडीआर ने अपनी जो हालिया सर्वे रिपोर्ट इन 7 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर जारी की है उसके मुताबिक, चुनाव लड़ रहे 87 उम्मीदवारों में से 18 पर अपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 15 ऐसे उम्मीदवार हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.
बसपा-सपा की स्थिति एक जैसी
इनमें अगर दलवार बात करें तो बसपा के 7 उम्मीदवारों में से 5 पर आपराधिक मुकदमें, समाजवादी पार्टी के 6 उम्मीदवारों में से 5 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं. वहीं कांग्रेस के 6 उम्मीदवारों में से एक पर आपराधिक मामला दर्ज है. जबकि 22 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 3 पर ऐसे केसेस हैं.
वहीं, गंभीर आपराधिक मामलों की अगर बात करें तो बसपा के सात में से 5, सपा के 6 में से 5 और निर्दलीय 22 उम्मीदवारों में 2 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसका उल्लेख इन उम्मीदवारों ने खुद अपने चुनावी हलफनामे में किया है. एक उम्मीदवार तो इस चुनाव में ऐसा है जिस पर बलात्कार जैसे संगीन आरोप भी हैं, वहीं, हत्या के प्रयास के चार आरोपी भी चुनाव मैदान में हैं.
हालांकि, इस रिपोर्ट के आने के बाद बीजेपी खासी उत्साहित है क्योंकि पार्टी ने जो 7 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं उन पर कोई भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है और यही वजह है कि इस एडीआर रिपोर्ट को आधार बनाकर बीजेपी विपक्षी दलों पर हमला बोल रही है. उसका कहना है कि बसपा हो या सपा सभी अपराधियों की बदौलत ही राजनीति करती हैं.
एडीआर की इस रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव मैदान में जो 87 उम्मीदवार उतरे हैं, उनमें से 39 फ़ीसदी यानी 34 उम्मीदवार करोड़पति हैं और इसमें भी सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी के हैं. बीएसपी के सभी 7 उम्मीदवार करोड़पति हैं तो वहीं सपा के 6 में से 5 कैंडिडेट करोड़पति हैं. कांग्रेस के 6 में से 4 तो बीजेपी के सात में से 4 प्रत्याशी करोड़पति हैं. 22 निर्दलीय उम्मीदवारों में 6 उम्मीदवार यानी 27 फ़ीसदी करोड़पति हैं. चुनाव मैदान में 5 करोड़ से ज्यादा संपत्ति वाले 15 उम्मीदवार दो से पांच करोड़ वाले 10 उम्मीदवार, 50 लाख से दो करोड़ के बीच की संपत्ति वाले 21 उम्मीदवार और 10 से 50 लाख के बीच वाले 21 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. जबकि 20 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 10 लाख से कम है.
इन चुनाव में अगर सबसे अमीर उम्मीदवार की बात करें तो वह देवरिया सीट पर चुनाव लड़ रहे सपा के ब्रह्म शंकर त्रिपाठी हैं, जिनकी कुल संपत्ति 31 करोड़ है, वहीं, दूसरे नंबर पर जौनपुर से चुनाव लड़ रहे निर्दलीय उम्मीदवार धनंजय सिंह हैं जिनकी कुल संपत्ति 23 करोड़ है, और तीसरे नंबर पर बुलंदशहर से RLD के प्रवीण कुमार सिंह हैं, जिनकी कुल संपत्ति 21 करोड़ है.
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