Haridwar Akahara Parishad: सात अखाड़ों द्वारा अखाड़ा परिषद से अलग होकर नए अध्यक्ष, महामंत्री के साथ साथ पूरी कार्यकारिणी घोषित किए जाने के बाद अखाड़ा परिषद की रार बढ़ती दिखाई दे रही है. अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरी गिरी ने अलग होकर नए अध्यक्ष महामंत्री पद की घोषणा करने वाले अखाड़ों की बैठक को असंवैधानिक करार देते हुए नियमों के विपरीत बुलाई गई बैठक बताया है. उनका कहना है कि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामंत्री पद के लिए 25 अक्टूबर को प्रयागराज में बैठक निश्चित की गई है, जो अखाड़ों के साधु संत अलग से बैठक कर अपने आप को अध्यक्ष महामंत्री व अन्य पदों पर आसीन होने की बात कर रहे हैं. उनको प्रयागराज में 25 तारीख को होने वाली बैठक में अपना बहुमत साबित करते तो अच्छा होता. अलग होकर कुछ अखाड़ों के साधु संत अपने आप को अध्यक्ष महामंत्री के पदों पर आसीन होने की बात कर रहे हैं, वह अवैध है.
25 अक्टूबर को प्रयागराज में होनी है बैठक
अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय नरेंद्र गिरी के मृत्यु के बाद अध्यक्ष पद खाली होने के कारण अध्यक्ष पद पर चुनाव होना था. जिसके लिए प्रयागराज में 25 अक्टूबर को एक बैठक निरंजनी अखाड़े बाघम्बरी मठ प्रयागराज में बुलाई गई है, लेकिन उससे पहले ही 7 अखाड़ों ने बैठक कर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री पद पर नए पदाधिकारियों की घोषणा कर दी, जिसके बाद मौजूदा महामंत्री हरि गिरि महाराज ने पत्रकार वार्ता करते हुए उक्त बैठक को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि, अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए 25 अक्टूबर को प्रयागराज में बैठक बुलाई गई थी, जिसमें सभी 10 अखाड़ों को न्योता दिया गया है. उससे पूर्व कुछ भी कहना न्याय संगत नहीं होगा.
बैठक को बताया अवैध
उन्होंने कहा कि, आगामी 25 तारीख को बुलाई गई बैठक में अगर यह सभी अखाड़े अपना पक्ष रखकर बहुमत साबित करते हैं, तो ज्यादा अच्छा रहता. वहीं, पत्रकार वार्ता में बोलते हुए निरंजनी अखाड़े के श्री महंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि, गलत तरीके से बुलाई गई बैठक और उसके द्वारा की गई घोषणा पूरी तरह से अवैध है. क्योंकि अखाड़ा परिषद के महामंत्री द्वारा अखाड़ा परिषद अध्यक्ष हेतु बैठक प्रयागराज में बुलाई गई है. अचानक से इस तरह बैठक बुलाकर कोई घोषणा किया जाना न्याय संगत नहीं है. उन्होंने कहा कि, जो बैरागी आज अखाड़ा परिषद में होने की बात कर रहे हैं, वे कुंभ के दौरान पहले ही अखाड़ा परिषद से अलग होकर अपना परिषद अलग बना चुके हैं. ऐसे में उनकी गिनती कोई मायने नहीं रखती, साथ ही उन्होंने दावा किया कि उनके साथ सन्यासियों के साथ अखाड़े अभी भी साथ हैं, और अन्य अखाड़ों के साधु संत भी हमारे संपर्क में हैं.
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