लखनऊ, एबीपी गंगा। प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। गुरुवार को योगी सरकार ने 7 पीसीएस अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया। यह वह अफसर हैं जिनकी उम्र 50 साल से अधिक हो चुकी है, लेकिन इनके विभागीय कैरेक्टर रोल में बेड एंट्री की भरमार है।
मार्च 2017 में सत्ता संभालते ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जिस योजना को एजेंडे के तहत लागू किया, वह थी भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से बाहर करने की कवायद। गुरुवार को प्रदेश सरकार ने पुलिस महकमे के साथ सीओ स्तर के 7 पीपीएस अफसरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। आपको बताते हैं कि वो कौन से अधिकारी हैं जिन्हें जबरन रिटायर किया गया।
अरुण कुमार, सहायक सेना नायक पीएसी, आगरा
इंस्पेक्टर से सीओ बने अरुण कुमार को पूरी नौकरी में एक बार बृहद दंड, चार लघु दंड और 1 साल के लिए इनके सत्य निष्ठा रोकी गई सत्य। निष्ठा रोके जाने का मतलब कि सीनियर अफसर को अरुण कुमार की ईमानदारी और विभाग के प्रति वफादारी पर शक था।
विनोद कुमार राणा, सीओ, फैजाबाद
विनोद कुमार को अब तक की नौकरी में एक बार अर्थदंड और दो बार लघु दंड की कार्रवाई की गई.
नरेंद्र सिंह राणा, सीओ, आगरा
पांच बार लघु दंड
रतन कुमार यादव, सहायक सेनानायक, पीएसी झांसी को तीन लघु दंड एक अर्थदंड
तेजवीर सिंह यादव, सहायक सेनानायक सीतापुर को चार बार अर्थदंड और दो बार लघु दंड दिया गया
संतोष कुमार सिंह, जोनल अधिकारी, मुरादाबाद को 7 लघु दंड एक वृहद दंड दिया गया।
तनवीर अहमद खान, सहायक सेनानायक, पीएसी गोंडा को तीन बार बेड एंट्री लघु दंड दिया गया
इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस के 3 सीओ केशकरण सिंह, कमल यादव और शिवराज को 2018 में सरकार ऐसे ही जबरन रिटायर कर चुकी है।