प्रयागराज: गैंगरेप के एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि एक बालिग लड़की की सहमति से उसके साथ यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है, लेकिन यह अनैतिक और स्थापित भारतीय मानदंडों के खिलाफ है.
जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने 21 अक्टूबर, 2021 को इस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक राजू की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि अमुक लड़की का मित्र होने का दावा करने वाले इस व्यक्ति का यह दायित्व था कि जब अन्य सह आरोपियों द्वारा उस लड़की के साथ दुराचार किया जा रहा था, तो वह उसकी रक्षा करता.
अदालत ने कहा, “जिस क्षण याचिकाकर्ता ने यह स्वीकार किया कि पीड़िता उसकी प्रेमिका थी, तो उसके मान सम्मान की रक्षा करना उसका दायित्व हो जाता है. यदि लड़की बालिग है तो उसकी सहमति से उसके साथ यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है, लेकिन निश्चित तौर पर यह अनैतिक है और भारतीय समाज के स्थापित मानदंडों के अनुरूप नहीं है.”
अदालत ने याचिकाकर्ता के कृत्य को अत्यधिक खेदजनक करार देते हुए कहा कि जब सह आरोपी बेरहमी से उसके सामने उसकी प्रेमिका का यौन शोषण कर रहे थे तो वह मूक दर्शक बना रहा और उसके द्वारा कोई कड़ा प्रतिकार नहीं किया गया अन्यथा पीड़िता को उन गिद्धों से बचाया जा सकता था.
इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, कौशांबी जिले के अकिल सराय थाना में 20 फरवरी, 2021 को चार आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धाराओं 376-डी, 392, 323, 504, 506 और पाक्सो कानून की धारा पांच और छह के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
प्राथमिकी के मुताबिक, पीड़िता 19 फरवरी को सुबह करीब आठ बजे एक सिलाई केंद्र में सिलाई सीखने गई थी और उसने अपने मित्र राजू से मिलने के लिए उससे फोन पर बात की. बाद में वे एक स्थानीय नदी के किनारे एकांत में मिले. कुछ समय बाद तीन अन्य व्यक्ति वहां पहुंचे और राजू को मारा पीटा और उसका मोबाइल छीन लिया और लड़की के साथ दुराचार किया.
अदालत ने साक्ष्यों और प्राथमिकी की विषय वस्तु पर गौर करने के बाद राजू की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता का बाकी सह आरोपियों के साथ कोई संबंध नहीं है.