UP News: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में मुसलमानों से अपील की है. उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर मैं भारत के मुसलमानों से छत्तीसगढ़ की सर जमीन से अपील कर रहा हूं कि मुसलमान चुनाव में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध और मुख़ालफ़त न करें, बल्कि सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें. मौलाना ने ये बातें छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में आयोजित इस्लाहे मुआशरा कान्फ्रेंस में कही.
उन्होंने कई जगहों पर धार्मिक कान्फ्रेंस को संबोधित किया और कुछ इसी तरह से हर जगह मुसलमानों को समझाने की कोशिश की. मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुसलमानों को सलाह देते हुए कहा कि देश के सियासी हालात बहुत तेजी के साथ बदले हैं. कुछ दिनों में और ज्यादा बदलाव की उम्मीद की जा सकती है. इसलिए सियासी पहलू को देखते हुए मुसलमान अपने भविष्य के बारे में सोचें.
उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों से देखा ये जा रहा है कि हर राजनीतिक पार्टी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमानों को चुनाव में इस्तेमाल करती है. मुसलमान बगैर सोचे समझे धर्मनिरपेक्षता का झंडा और बैनर उठाकर प्रधानमंत्री मोदी की मुख़ालफ़त करने लगता है. मुसलमान अनजाने तौर पर राजनीतिक दलों का मोहरा बन जाता है, फिर ऐसा लगने लगता है कि सिर्फ मुसलमान ही मोदी के खिलाफ हैं और बाकी सब मोदी के समर्थन में हैं.
टकराव की स्थिति बन गई- मौलाना
शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि इस मुख़ालफ़त से मुसलमानों को न कोई फायदा हासिल हुआ न भविष्य में किसी फायदे की उम्मीद है. बल्कि हिन्दू और मुसलमानों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है, इससे भारतीय समाज का बहुत नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि इन हालात से बहुत चिंतित हूं और मुसलमानों को मशवरा दे रहा हूं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध न करें. इससे पहले मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को जमकर खरी-खरी सुनाई थी.
उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हें सिर्फ मुसलमानों का वोट चाहिए. मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा था कि, ''2022 के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को जमकर वोट दिया, जितने भी एमएलए सपा से जीतकर आए हैं, चाहे वह मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम, ये सभी मुसलमानों के वोट से जीतकर आए हैं. ऐसे में राज्यसभा की तीन सीटों पर मुस्लिमों का हक बनता है, इन सीटों पर मुसलमानों को कैंडिडेट बनाया जाना चाहिए था. लेकिन, अखिलेश यादव ने किसी भी मुस्लिम को प्रत्याशी न बनाकर गैर मुस्लिम को कैंडिडेट बनाया."
उन्होंने आगे कहा था कि इसका सीधा मतलब है कि उन्हें सिर्फ मुसलमानों का वोट चाहिए. वह सिर्फ कुर्सी के लालच में मुसलमानों के वोट का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें बेवकूफ समझते हैं.