एंटरटेनमेंट डेस्क। हम आज उस दौर में जी रहे है जहां पर म्यूजिक के बिना हमारा जीवन अधूरा सा लगता है। भारत में कई मशहूर गीतकारो ने गीत फिल्मो के माध्यम से पेश किये है जैसे की किशोर कुमार, मुकेश, आर.डी.बर्मन, मोहम्मद रफ़ी जैसे और भी कई सितारे है जिन्होंने फिल्म जगत से म्यूजिक देकर उन्हें लाइव परफॉरमेंस में भी बदला है।
उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान का जन्म 13 अक्टूबर 1948 पकिस्तान के पंजाब प्रान्त के फैसलाबाद शहर में हुआ था। नुसरत साहब का खानदान पिछले 600 सालों से क़व्वाली गाते आ रहा था।
नुसरत 16 साल के थे जब उनके पिता की मौत हो गयी थी। उन्होंने अपने पिता के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में आयोजित क़व्वाली प्रोग्राम में पहली बार लोगो के सामने आकर क़व्वाली गाई।
आज भी नुसरत फतेह अली खान की आवाज कानों में पड़ती हैं, तो बहुत से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उस आवाज को चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता है।
नुसरत नाम का अर्थ होता है विजय, जीत. उन्होंने कहा था की नुसरत एक दिन बहुत ही बड़ा कव्वाल बनेगा और परिवार का नाम दुनिया में रोशन करेगा।
शहंशाह-ए-क़व्वाली नाम से भी जाना जाने लगा नुसरत ने बॉलीवुड में भी कुछ गाने गए है। जिनका नाम है अफरीन आफरीन, दुल्हे का सेहरा छोटी सी उमर,प्यार नहीं करना। इन गानों में से नुसरत का सबसे बढ़िया गाना और जाना पहचाना गाना था दुल्हे का सेहरा। ये गाना धड़कन फिल्म में फिल्माया गया था।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में 2001 के मुताबिक उन्होंने 125 एलबम रिलीज किए थे। करीब 40 मुल्कों में उनके कार्यक्रम हुए। कव्वाली का नाम लेते ही एक आवाज याद आती है। वो आलाप जो दिल को चीरती हुई मानो सातवें आसमान तक जाती है। नुसरत फतेह अली खां की आवाज।
नुसरत साहब ने जिंदगी भरपूर जी। उनकी आवाज ने संगीत प्रेमियों को जीने की तमाम वजहों में एक और वजह जोड़ दी। वो आवाज सूफियों की आवाज कही जाती है। उनकी आवाज के भारत और पाकिस्तान ही नहीं, तमाम पश्चिमी देशों में दीवाने हैं।
उनकी आवाज-उनका अंदाज, उनका हाथों को हिलाना, चेहरे पर संजीदगी का भाव, संगीत का उम्दा प्रयोग। शब्दों का शानदार प्रयोग करना उनकी खनक। सब कुछ हमें किसी दूसरी दुनिया में ले जाने पर मजबूर करता है।
राहत फतेह अली खान ने बॉलीवुड में भी कई गाने गाए हैं, जो काफी फेमस हुए। बॉलीवुड में राहत फतेह अली खान का सफर 2003 में पूजा भट्ट निर्देशित फिल्म 'पाप' से शुरू हुआ।