Mathura News: मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की री काल अर्जी पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मस्जिद कमेटी ने री काल अर्जी के जरिए हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल पंद्रह मुकदमों को एक साथ सुने जाने के फैसले को चुनौती दी. अर्जी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 11 जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई है. आज की सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश की.


इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है. अदालत का फैसला दो हफ्ते में आने की उम्मीद है. आज हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट तसनीम अहमदी और महमूद प्राचा ने दलीलें पेश की. इन्होंने कहा कि ट्रायल शुरू होने के पहले मुकदमों को कंसॉलिडेट नहीं किया जा सकता. यह फैसला उचित नहीं है.


सिंगल बेंच में हुई सुनवाई
मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि मथुरा मामले में मुकदमों की पोषणीयता तय होने से पहले ही मुकदमों को कंसॉलिडेट कर दिया गया. हिंदू पक्ष की तरफ से सौरभ तिवारी, प्रभाष पांडेय, महेंद्र प्रताप सिंह समेत अन्य अधिवक्ताओं ने दलीलें पेश की. हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि शाही ईदगाह कमेटी मामले को जानबूझकर लटकाना चाहती है. इसी वजह से वह बेवजह की अर्जियां दाखिल कर रही है. मामले की सुनवाई जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में हुई. 


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शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की रिकॉल अर्जी में कहा गया है कि इस बिंदु पर फैसला आए बिना मुकदमों की पोषणीयता को लेकर जो फैसला सुनाया गया है, वह अवैध है. अगर अदालत का फैसला शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पक्ष में आता है तो मुकदमों की पोषणीयता को लेकर एक अगस्त को आया फैसला भी प्रभावित हो सकता है. हाईकोर्ट ने एक अगस्त के फैसले में हिंदू पक्ष की याचिकाओं को सुनवाई के लायक माना था और मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया था.