Shahjahanpur News: जेल में बंदियों को दी जा रही इलेक्ट्रीशियन-हैंडीक्राफ्ट की ट्रेनिंग, बाहर आकर बना सकेंगे भविष्य
Shahjahanpur Jail: जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने कहा कि बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने और अपराधिक मानसिकता को बदलने के लिए कौशल विकास योजना के अंतर्गत हैंडीक्राफ्ट और इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग दी जा रही है.
Shahjahanpur News: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत जेल प्रशासन की तरफ से बंदियों को ट्रेनिंग दिलाई जा रही है इसलिए कैदी जेल अधीक्षक का धन्यवाद कर रहे हैं. बंदी जेल से बाहर जाने के बाद इसी ट्रेनिंग के आधार पर मेहनत कर परिवार का भरण-पोषण करेंगे. दरअसल, शाहजहांपुर जेल के अंदर कौशल विकास मिशन योजना के अंतर्गत 96 बंदियों को इलेक्ट्रीशियन और हैंडीक्राफ्ट की ट्रेनिंग दी जा रही है. इसका मकसद यह है कि जो बंदी अपराध की दुनिया में आने के बाद जेल में सजा काट रहे हैं उनको फिर से अपने भविष्य को बनाने के लिए एक मौका दिया जाए,
बंदियों और जेल अधीक्षक ने प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही कौशल विकास योजना की सराहना की है. उत्तर प्रदेश सरकार की कौशल विकास मिशन योजना के अंतर्गत आईटीआई के माध्यम से शाहजहांपुर जेल में बंद बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने और अपराध से दूर करने की पहल की गई है. चार महीने पहले इस योजना के बारे में एक बैठक कर जेल अधीक्षक मिजाजी लाल को बताया गया था.
इलेक्ट्रीशियन ट्रेनर जेल में आकर देता है ट्रेनिंग
दो महीने से इस योजना के अंतर्गत आईटीआई के माध्यम से एक इलेक्ट्रीशियन ट्रेनर को प्रतिदिन जेल के अंदर भेजा जाता है. इस समय जेल के अन्दर 48 बंदी इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग ले रहे हैं. बाकायदा जेल के अंदर एक ब्लैक बोर्ड लगाया जाता है. जमीन पर दरी बिछाकर पेन और कापी लेकर बंदी बैठते हैं. ट्रेनर उनको बोर्ड पर इलेक्ट्रीशियन से जुड़ी अहम बाते बताता है. फिर उसको बंदी अपनी कॉपी पर लिखते हैं. जेल के अंदर इलेक्ट्रिशियन की ट्रेनिंग ले रहे जमीन पर बैठे इन बंदियों पर, चोरी, लूट, रेप, मारपीट और हत्या जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं, लेकिन ट्रेनिंग लेने ने बाद अब बंदी अपराध की दुनिया से दूर जाने की बात कर मेहनत करने की बात कर रहे हैं.
धारा 302 के मुकदमे में जेल में बंद बंदी शिवा भी इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग ले रहा है. शिवा ने बताया कि इस ट्रेनिंग के माध्यम से बहुत कुछ सीख चुका हूं. पिछले दो महीने से प्रतिदिन ट्रेनिंग के दौरान कॉपी पर लिखकर नोट करते हैं. ट्रेनिंग करने के बाद जेल से बाहर निकलकर इससे मिलने वाले प्रमाण पत्र के माध्यम से कहीं भी काम कर परिवार को चला सकते हैं. ट्रेनिंग के दौरान बिजली के बोर्ड बनाना और बल्ब को बंद और खोला कैसे जाता है ये सब सिखाया जा रहा है. बंदी ने बताया कि जेल से बाहर निकलकर अब अपराध की तरफ दोबारा मुड़कर नही देखेंगे. सिर्फ मेहनत से काम करके भविष्य बनाएंगे.
वहीं जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने और उनमें अपराधिक मानसिकता को बदलने के लिए कौशल विकास मिशन योजना के अंतर्गत हैंडीक्राफ्ट और इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग जेल के अन्दर दी जा रही है. लगभग 96 बंदी ट्रेनिंग ले रहे हैं. इस तरह की ट्रेनिंग से बंदियों की आपराधिक मानसिकता को बदलकर बेहतर भविष्य बनाने में बहुत कारगर साबित होता है.
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