Shamli DPRO Corruption: उत्तर प्रदेश के शामली में सरकारी बजट के 30 करोड़ रुपये के घोटाले का मामले सामने आया है. यहां पर जिला पंचायतीराज अधिकारी नंदलाल ने ओडीएफ प्लस योजना के लिए आए 30 करोड़ रुपये के बजट का बंदरबांट कर डाला है. यहां पर ओडीएफ प्लस योजना के अंतर्गत 30 करोड़ रुपये की रकम से ग्राम पंचायतों के कचरा निस्तारण के लिए ई-कूड़ा वाहन खरीदे जाने थे. हालांकि इस टेंडर में आरोपी ठेकेदार से डीपीआरओ ने दोगुनी कीमत में इन वाहनों की खरीद शुरू कर दी है.
दोगुनी कीमत में खरीदे ई-कचरा वाहन
नये जमाने के कचरा वाहन का नाम ई-कचरा गाड़ी है. ये कूड़ा वाहन खरीदने के लिए शामली के डीपीआरओ नंदलाल ने सरकार के उस नमक का कचरा कर डाला है. जिसकी बदौलत उन्हें हर महीने मोटी पगार मिलती है. यहां पर 51 ग्राम पंचायतों में ऐसे ढेरों कचरा वाहनों की खरीद की शुरूआत जैम पोर्टल से की गयी है. सहारनपुर के ननौता निवासी ठेकेदार हनी चौधरी ने अपनी फर्म रॉयल कन्सट्रक्टर एंड सप्लायर से एक ई-कचरा गाड़ी की कीमत दो लाख सैतीस हजार रुपये वसूली है. खुले बाजार में वेस्ट क्वालिटी की यही कचरा गाड़ी महज एक से सवा लाख रुपये में मौजूद है.
चहेते ठेकेदार के साथ किया भ्रष्टाचार
वहीं वाहनों की खरीद सीधे ग्राम पंचायतों को करनी थी, लेकिन डीपीआरओ नंदलाल ने भुगतान के डोंगल अपने कब्जे में किए. इतना ही नहीं उन्होंने अपने चहेते ठेकेदार हनी चौधरी को एक साथ भुगतान कर डाला. इसके बाद आरोपी ठेकेदार हनी चौधरी व उसी की सिफारिश पर उसे 30 करोड़ के बंदरबांट का टेंडर मिला. जब यहा मामला खुला तो उसके बाद डीएम ने कमेटी बनाकर जांच शुरू कराई है. हैरत की बात यह है कि जिस डीपीआरओ की बड़ी भूमिका इस कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार में है उसे ही इस कमेटी का सदस्य बना दिया गया है.
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