Shamli News: शामली में प्रशासन की अनदेखी, किसी स्कूल में बिजली नहीं तो कहीं बर्तन साफ करने को मजबूर हैं बच्चे
जहां एक ओर प्रदेश की योगी सरकार प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए कार्य योजना तैयार करने में लगी हुई है, वहीं शामली में स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही सरकार की योजना को पलीता लगा रही है.
UP News: जहां एक ओर प्रदेश की योगी सरकार प्राथमिक स्कूलों (Primary School) में बच्चों को पढ़ाने के लिए कार्य योजना तैयार करने में लगी हुई है, वहीं शामली (Shamli) में स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही सरकार की इस महत्वाकांक्षी प्राथमिक शिक्षा योजना को पलीता लगा रही है.
बिलजी की कमी
इस संबंध में एबीपी गंगा ने रियलिटी चेक के लिए शामली जनपद के कुछ प्राइमरी विद्यालयों में मौके पर जाकर वस्तु स्थिति को देखा. शामली से मात्र चार किलोमीटर दूर स्थित टिटौली गांव के प्राइमरी स्कूल में देखा कि बच्चे भीषण गर्मी में अंधेरे कमरे के अंदर पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूल में बिजली की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं है. शामली जनपद में तापक्रम 40 डिग्री से ऊपर होने की वजह से भीषण गर्मी पड़ रही है. दूसरी ओर इन स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी भी साफ नजर आ रही है.
बर्तन साफ करते दिखे बच्चे
उधर टीटोली गांव के प्राइमरी स्कूल नंबर एक में बच्चे मिड डे मील का भोजन करने के बाद खुद ही अपने बर्तन साफ कर रहे थे. जिसमें छोटे बच्चे बिना किसी एहतियात बर्तन साफ कर रहे थे. जबकि बर्तन का मेला, कुचला, पानी इधर-उधर बच्चों की यूनिफार्म पर गिर रहा था. इस संबंध में जब स्कूल के प्रधानाध्यापक से बातचीत की गई तो वे कोई संतोषजनक नहीं दे सके.
क्या बोले ग्रामीण
प्राइमरी नंबर एक में दो दिन से बिजली नहीं है. जहां बच्चे अंधेरे में बैठकर पढ़ रहे हैं, प्रिंसिपल का कहना है कि यहां पर आज हम आए हैं लेकिन बिजली नहीं थी. गांव वालों से पूछा तो उन्होंने बताया कि दो दिन पहले आंधी आई थी, जिसकी वजह से कई से तार टूट गया होगा लेकिन अभी तक ठीक नहीं हुआ है. हमने ग्राम प्रधान को बताया था लेकिन आज लाइट नहीं है. गर्मी बहुत है, बच्चे बिना लाइट में ही पढ़ रहे हैं.
क्यों उठ रहे हैं सवाल
एक और जहां उच्च वर्ग के लोग अपने बच्चों को पब्लिक स्कूलों में मोटी रकम देकर शिक्षा ग्रहण करा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इन सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी और सफाई व्यवस्था ठीक न होने की वजह से आम आदमी अपने बच्चों को इन स्कूल में दाखिला करता हुआ हिचकता है. ऐसे में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा को अनिवार्य बनाने की दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर सवाल उठना लाजमी है.
सेवापुर में ये है हाल
जब हम शामली से महज दस किलोमीटर की दूरी पर गांव में प्राथमिक विद्यालय सेवापुर में पहुंचे तो वहां पर सभी बच्चों को पेड़ के नीचे तक पर बैठाकर पढ़ाया जा रहा था. कमरे खाली पड़े हुए थे और उसमें पंखे चल रहे थे. जब हमने इस बारे में प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने आगे पीछे की बातें बताना शुरू कर दिया. कुछ बच्चे तो अपनी क्लास में डांस करते हुए नजर आए क्योंकि मैडम क्लास में पढ़ा नहीं रही थीं.
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