(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Shamli: मामौर झील के गंदे पानी से तबाही के मुहाने पर एक गांव, लील रहा ग्रामीणों की जिंदगियां
कैराना में मामौर झील का असर यह है कि गांव के हैंडपंप से भी जहरीला पानी निकल रहा है. लोगों को साफ पानी लाने के लिए तीन किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ रही है.
UP News: करीब तीन दशक पहले तक शामली (Shamli) जिले की मामौर झील (Mamore Lake) एक मनोरम स्थल हुआ करती थी लेकिन अब यह झील स्थानीय बाशिंदों को खून के आंसू रूला रही है. दरअसल, कैराना (Kairana) की करीब एक लाख की आबादी का गंदा पानी इस झील में लगातार जमा हो रहा है. इसके कारण एक ओर झील लगातार अपना आकार बढ़ा रही है, वहीं दूसरी ओर पानी दूषित होने के कारण मामौर गांव की करीब 2500 लोगों की आबादी तबाही के मुहाने पर आ खड़ी हुई है.
शामली जनपद के मामौर गांव में स्थित झील के प्रदूषण ने भूजल पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. सबसे ज्यादा प्रभावित मामौर गांव में दिखाई देता है. ग्रामीणों प्रदूषित पानी के चलते फैली बीमारियों के कारण करीब एक साल में ही एक दर्जन से अधिक मौतों का दावा करते हैं. मामौर गांव के 46 वर्षीय नूर अली की 27 नवंबर को मौत हो गई थी. वह हेपेटाइटिस सी से पीड़ित थे और कुछ महीने पहले नूर के बड़े भाई की भी इसी बीमारी से मौत हो गई थी. नूर के 22 साल के बेटे साइमान अली ने कहा, 'अब मुझ पर सात बहनों और एक भाई समेत मां की जिम्मेदारी है. मेरे ऊपर करीब 80 हजार रुपये का कर्ज भी है, जो मुझे पिता का ईलाज कराने के दौरान लेना पड़ा था.'
हेपेटाइटिस सी, कैंसर से हो रही लोगों की मौत
मामौर गांव के लोगों के अनुसार यहां त्वचा संबंधी बीमारियों के साथ हेपेटाइटिस सी और कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं. ग्रामीणों का यह भी दावा है कि गांव में करीब 250 फीट तक भूजल दूषित हो गया है. किसान यशपाल चौहान ने बताया कि यह झील कैंसर और पीलिया फैला रही है. गांव के करीब 500 लोग काला पीलिया से पीड़ित हैं और झील का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है. उन्होंने बताया कि किसानों की एक हजार बीघे से ज्यादा जमीन जलमग्न हो चुकी है और स्थानीय लोगों को करीब तीन किलोमीटर दूर से पाने का पानी लाना पड़ता है, क्योंकि गांव में लगे हैंडपंप दूषित जल निकाल रहे हैं .
गांव के 80-85 फीसदी काला पीलिया से पीड़ित
ग्रामीण मोहम्मद अफसरून ने बताया कि कुछ समय पहले मेरी तबियत खराब हो गई थी, तब टेस्ट कराने के बाद लीवर में इंफेक्शन और काला पीलिया की रिपोर्ट आई. मेरे परिवार में पांच सैंपल लिए गए थे, जिनमें से तीन में काला पीलिया आया है. गांव का पानी खराब हो गया है. झील ने हमें तबाह कर दिया है. वहीं 60 वर्षीय इलम सिंह ने बताया कि 20 सालों में गांव का पानी बिल्कुल जहरीला हो गया है. पानी को यदि उबालकर ना पीएं तो फौरन मौत हो सकती है. उबालने के बाद पानी रंग बदलकर कभी काला और कभी पीला हो जाता है. ग्राम प्रधान के परिवार के मौलवी जाहिद झील के किनारे पर मदरसा चलाते हैं. उन्होंने बताया कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे भी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. गांव के बहुत सारे लोगों को कैंसर भी निकला है. उन्होंने बताया कि कैंसर से अभी हाल ही के दो-तीन महीनों में 8-10 मौत हो चुकी हैं, जबकि अन्य काला पीलिया और लीवर के इंफेक्शन का शिकार हो रहे हैं. गांव के करीब 80 से 85 फीसदी लोग काला पीलिया की चपेट में हैं.
डीएम ने बताया कैसे मिली निजात
शामली स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब एक साल में हेपेटाइटिस के 2100 से अधिक नए मरीज सामने आए हैं, जिनमें से ज्यादातर कैराना क्षेत्र से आते हैं. जिला मजिस्ट्रेट (शामली ) जसजीत कौर ने को बताया कि ममौर झील के दूषित पानी के निपटान के लिए नमामि गंगे योजना के तहत लगभग 38 करोड़ रुपये की लागत से जल उपचार संयंत्र का निर्माण किया जा रहा है. हमारी कोशिश है कि ट्रीटमेंट प्लांट तय समय पर शुरू हो सके. इसके अलावा हम गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक एटीएम आधारित आरओ वाटर प्लांट की कार्य योजना भी तैयार कर रहे हैं.
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