शामली: उत्तर प्रदेश के शामली जिले से शर्मनाक मामला सामने आया है. यहां लचर सिस्टम की लापरवाही के चलते एक महिला के शव को कूड़ा गाड़ी में रखकर श्मशान घाट तक ले जाया गया. शर्मसार करने वाला ये मामला जलालाबाद कस्बे का बताया जा रहा है. कस्बे में बंगाल का एक परिवार पिछले कई दशक से रह रहा है. 


लोगों ने नहीं की मदद
प्रवास सरकार को कस्बे में डॉक्टर बंगाली के नाम से भी जाना जाता है. डॉक्टर बंगाली ने अपनी बहन की मौत के बाद आसपास के लोगों से अर्थी को कंधा देने की मदद मांगी. लेकिन, कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया. आसपास के लोगों का कहना था कि कोविड से मौत की आशंका के चलते किसी ने भी उनकी अर्थी को कंधा नहीं दिया. 


कूड़ा उठाने वाली गाड़ी भेज दी
लाचार भाई ने नगर पालिका के कर्मचारियों को फोन किया और आपबीती सुनाते हुए उनसे शव को श्मशान घाट तक ले जाने का आग्रह किया. जिस पर नगर पालिका के कर्मचारियों ने शव को लेने के लिए कूड़ा उठाने वाली गाड़ी भेज दी. महिला के शव को कूड़ा गाड़ी में डालकर श्मशान घाट ले जाया गया. 


बंगाल में रहता है परिवार 
मृतक महिला का नाम बालामती है जो बंगाल की रहने वाली है. बालामती का पूरा परिवार बंगाल में रहता है. बालामती की तबीयत पिछले कई महीनों से खराब थी, जिसकी सूचना पर मृतक बालामती का भाई प्रवास सरकार उर्फ डॉ बंगाली बंगाल चला गया और वहां से अपनी बहन बालामती को लेकर शामली लौट आया. करीब 12 दिन पहले वो अपनी बीमार बहन को लेकर शामली आया था लेकिन बीमारी ने बहन को ऐसा जकड़ा कि सोमवार सुबह उसकी मौत हो गई. 


कूड़े के वाहन से शव को पहंचाया श्मशान घाट
एक तरफ बहन की मौत का गम, दूसरी तरफ मतलबी दुनिया और संवदेनहीन सिस्टम की बेशर्मी. बालामती का निधन हुआ तो आसपास के लोगों ने अर्थी को कंधा देना तक मुनासिब नहीं समझा. जब मदद के लिए कोई आगे नहीं आया तो लाचार भाई ने नगर पालिका से श्मशान घाट तक शव को भेजने की गुहार लगाई. नगर पालिका ने भी बेशर्मी दिखाते हुए कूड़े के वाहन में महिला के शव को रखकर श्मशान घाट तक पहुंचा दिया.


एक दूसरे से दूरी बरत रहे हैं लोग 
कोरोना का खौफ इस कदर है कि लोग एक दूसरे के पास आने से परहेज कर रहे हैं. संकट काल में सामान्य तौर से भी मौत होने पर लोग अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. डॉ प्रवास कुमार का कहना है कि वो साल 2002 में जलालाबाद में आकर रहने लगे थे. बहन बालामति जिसकी उम्र 50 वर्ष है उसको ब्रेन हेमरेज हो गया था, जिसके कारण वो अपने दैनिक दिनचर्या के काम भी नहीं निपटा पा रही थी. बालामती की सोमवार सुबह मौत हो गई. डॉ प्रवास ने पड़ोसियों से अंतिम संस्कार करने के लिए मदद मांगी. लेकिन कोरोना की वजह से किसी ने मदद नहीं की. मदद न मिलने पर उन्होंने नगर पंचायत जलालाबाद को एक प्रार्थना पत्र देकर मदद की गुहार लगाई. लेकिन, जलालाबाद नगर पंचायत ने संवेदनहीन काम करते हुए कूड़े के वाहन से शव को श्मशान घाट तक पहुंचाया. 


महिला की मौत कोविड से नहीं हुई
डीएम शामली जसजीत कौर ने बताया कि मामले का संज्ञान लिया जा रहा है. महिला की मौत कोविड से नहीं हुई है. महिला की नॉर्मल डेथ हुई है. शामली में शव वाहन की व्यवस्था है, ऑक्सीजन की कमी नहीं है. इसके साथ ही जिले में शव वाहन या एम्बुलेंस के लिए हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं. जरूरत पड़ने पर उस पर कॉल कर सकते हैं. फिलहाल इस प्रकरण की जांच एसडीएम एबीएसए को सौंपी गई है. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.


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