Ram Mandir Inauguration: उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने राम मंदिर पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आधे अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना न्यायोचित और धर्म संम्मत नहीं है. उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी नहीं बल्कि हितैषी हैं. इसलिए सलाह दे रहे हैं कि शास्त्र सम्मत कार्य करें. महाराज ने राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित सभी पदाधिकारियों के इस्तीफा की मांग की. उन्होंने कहा कि शंकराचार्यों का अपना कोई मंदिर नहीं होता है.


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महाराज ने कहा कि शंकराचार्य केवल धर्म व्यवस्था देते हैं. चंपत राय को जानना चाहिये कि शंकराचार्य और रामानन्द सम्प्रदाय के धर्मशास्त्र अलग अलग नहीं होते. चंपत राय के बयान पर उन्होंने कहा कि पहले उपेक्षा और अब प्रेम उमड़ रहा है. मीडिया से बातचीत में चंपत राय ने कहा कि 'राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों का है, शंकराचार्य शैव और शाक्त का नहीं. महाराज ने कहा कि अगर राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो उसे सौंप देना चाहिए. संत समाज को कोई आपत्ति नहीं होगी.


जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान


उन्होंने कहा कि चारों पीठों के शंकराचायों को कोई राग द्वेष नहीं है लेकिन उनका मानना है कि शास्त्र सम्मत विधि का पालन किये बिना मूर्ति स्थापित किया जाना सनातनी जनता के लिये उचित नहीं है.  महाराज ने कहा कि पूर्व में तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए बिना मुहूर्त के राम की मूर्ति को सन 1992 में स्थापित किया गया था. लेकिन वर्तमान समय में स्थितियां अनुकूल हैं.  ऐसे में उचित मुहूर्त और समय का इंतजार किया जाना चाहिए. कहा कि आधे अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना न्यायोचित और धर्म संम्मत नहीं है. शंकराचार्य ने कहा कि निर्मोही अखाड़े को पूजा का अधिकार दिए जाने के साथ ही रामानंद संप्रदाय को मंदिर व्यवस्था की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. 


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