'यह अच्छी बात है...' शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने नए साल के जश्न पर फतवे को बताया सही
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद ने मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी द्वारा नए साल 2025 के जश्न पर जारी फतवे पर टिप्पणी की है.
New Year 2025: ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद ने मुस्लिम लोगों को नव वर्ष ना मानने के मुस्लिम मौलाना द्वारा दिए गए फतवे को स्वागत योग्य कदम बताया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी मुसलमान ने अपने मुस्लिम समुदाय के लिए यह कहा है तो अच्छी बात है. शंकराचार्य ने सनातनी हिंदुओं का आह्वान करते हुए कहा कि विक्रम संवत आपका कैलेंडर है उनसे ज्यादा वैज्ञानिक है उसके अनुसार पर्व तिथि और नया साल मनाए.
वाराणसी में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एआईएमजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी की तरफ से मुस्लिम युवक युवतियों द्वारा नव वर्ष नहीं मानने के फतवे के प्रश्न पर कहा कि जिस भी व्यक्ति ने चाहे वह किसी संस्था का हो अगर उसने अपने समुदाय के लिए फतवा या निर्देश जारी किया है तो मेरी समझ से यह स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि हो क्या रहा है कि हमें हमारी जड़ों से दूर किया जा रहा है. ,जब हमने आजादी की लड़ाई में अग्रेजों को भगाकर जादी पाई ऐसे में उनके जाने के बाद अंग्रेजी तारीख से नया वर्ष बना रहे हैं इसका कोई मतलब नहीं निकलता है.
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शंकराचार्य ने पूछा- इसमें क्या दिक्कत है?
शंकराचार्य ने इसे ईसाइयों का षड्यंत्र बताते हुए कहा कि हम अपनी तारीख पीछे कर देते हैं यह विडंबना है अगर इस विडंबना के बारे में कोई विचार कर रहा है और अपने समाज को कह रहा है, मुसलमानों का हिजरी सन् होता है हमारा विक्रम संवत होता हैयह ईसाइयों का षड्यंत्र है. हमारे यहां सूर्योदय से दिन शुरू होता है. उनके यहां रात को 12:00 बजे से शुरू होता है . ह हैप्पी न्यू ईयर रात भर जाग कर कहते हैं. हमारे यहां सुबह कोई भी शुभ का भगवान गणेश के पूजा से शुरू होता है।
शंकराचार्य ने सनातन धर्मावलंबी हिंदुओं युवक युवतियों से अपील करते हुए कहा कि हम भी अपने सनातनियो से कहना चाहता हूं कि जितनी जल्दी हो सके इन बातों को समझिए और अपने विक्रम संवत के कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष पर्व त्यौहार मनाइए.आपका कैलेंडर आपकी तारीख है उनसे ज्यादा वैज्ञानिक और अच्छी है अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखते हैं तो भी अगर किसी मुसलमान ने अपने मुस्लिम समुदाय के लिए फतवा जारी किया है तो मैं कहता हूं कि यह बहुत अच्छी बात है उन्हें भी अपने तिथियों से पर्व त्यौहार मनाना चाहिए इसमें क्या दिक्कत है.