UP News: पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (swami Nischalananda Saraswati) ने दावा किया है कि भारत जल्द ही हिंदू राष्ट्र (Hindu Nation) बन जाएगा. उनके मुताबिक़ देश में जो हो रहा है, उससे कहा जा सकता है कि भारत अगले साढ़े तीन साल में हिंदू राष्ट्र होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसा नहीं है कि देश में रहने वाले दूसरे धर्म के लोगों को बाहर भेज दिया जाएगा या फिर उनका धर्म परिवर्तन (Religious Conversion) करा दिया जाएगा.


'सकारात्मक सोचने लगेंगे देशवासी'


शंकराचार्य के मुताबिक़ हिंदू राष्ट्र होने के बावजूद देश में सभी धर्मों के लोग उसी तरह रहेंगे, जैसे अभी रह रहे हैं. शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद का कहना है कि हिंदू सिर्फ धर्म नहीं बल्कि जीवन शैली है, जो मानवता का पाठ पढ़ाती है. सहिष्णुता -अहिंसा व समर्पण सिखाती है. ऐसे में देश जिस तरह से बदल रहा है, उससे कहा जा सकता है कि आने वाले साढ़े तीन सालों यानी साल 2025 के अंत तक सभी भारतवासी सकारात्मक सोच रखने लगेंगे. नकरात्मक विचारों को छोड़कर देश हित में काम करेंगे. धर्म से नहीं बल्कि विचारों और स्वभाव से हिंदू हो जाएंगे और भारत हिंदू राष्ट्र बन जाएगा.   


'आपसी सहमति से सुलझाएं ज्ञानवापी का मसला'


 शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने एबीपी गंगा चैनल से की गई ख़ास बातचीत में कहा है कि वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद को कोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना ही आपसी सहमति से इसे सुलझा लेना चाहिए. उनके मुताबिक़ मुसलमानों को यह बात पता है कि उनके पूर्वज भी पहले हिंदू ही थे. मुग़ल आक्रांताओं ने तमाम मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाईं थीं. अगर पहले गलती हुई है तो उस गलती को ठीक किया जा सकता है. मुसलमानों को खुद ही पहल करते हुए ज्ञानवापी से अपना दावा वापस ले लेना चाहिए. उनके मुताबिक़ वह दोनों पक्षों को बिठाने और बात कराने की खुद तो पहल नहीं करेंगे लेकिन अगर दोनों पक्ष बातचीत के ज़रिए हल निकालने की इच्छा रखेंगे तो वह मध्यस्थता करने को भी तैयार रहेंगे.  उन्होंने कहा है कि मुसलमानों के प्रति कोई अन्याय न हो,लेकिन अगर उनके पूर्वजों ने कहीं अन्याय किया है, तो इस अन्याय के समर्थक न बनकर भक्तराज प्रह्लाद की भूमिका पेश करें.


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मोहन भागवत पर यह बोले शंकराचार्य


शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस उस बयान से असहमति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग ढूंढना कतई ठीक नहीं है. उनके मुताबिक़ मोहन भागवत यह कहना चाहते हैं कि मेरे शरीर में हिंदुत्व के लक्षण ढ़ूंढने की जरुरत नहीं है. हालांकि शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि मोहन भागवत आरएसएस के सर संघचालक है और उनकी समीक्षा मुझसे कराना उचित नहीं है. उन्होंने कहा है कि मोहन भागवत दर्शन विज्ञान व्यवहार में सामंजस्य साधकर चलने की प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त करें.


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