Swami Swaroopanand Saraswati: अंग्रेजों से स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने लिया था लोहा, विरोध में फूंक दिया था औड़िहार रेलवे स्टेशन
द्वारका-शारदा पीठ और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर का आज मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित आश्रम में शाम चार बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा.
UP News: ज्योतिष और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन वो अपने पीछे अपनी कहानियों को छोड़ गए. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जब संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो देश गुलाम था. महज 19 साल के क्रांतिकारी पोथीराम ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. वो आजादी की लड़ाई में जेल भी गए. अपने दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने औड़िहार में रेलवे स्टेशन फूंक दिया और सैदपुर तहसील मुख्यालय पर भी हमला कर तोड़ फोड़ किया. अंग्रेजों के आवागमन को सैदपुर से औड़िहार के बीच रास्ता काटकर अवरुद्ध कर दिया.
वाराणसी और मध्य प्रदेश के जेल में रहे बंद
दरअसल, उस समय अंग्रेजी शासक नादरसोल ने बाबा के मित्र रहे रामपुर गांव निवासी वशिष्ठ सिंह की मड़ई को जलवा दिया था. उसी समय बाबा वाराणसी में गिरफ्तार हुए थे और शिवपुर जेल गए थे. उन्होंने नौ महीने काशी में और छह महीने मध्य प्रदेश की जेल में सजा काटी थी. गाजीपुर के बमनौली गुरुकुल से शिक्षा हासिल करने वाले मध्य प्रदेश के बटुक पोथीराम उपाध्याय 1942 में पहले क्रांतिकारी बने, लेकिन बाद में उन्होंने सन्यास पथ पर चलने की ठानी. जहां से उन्हें स्वामी स्वरूपानंद के नाम से जाना जाने लगा.
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती राम जन्म भूमि मामले से जुड़े रहे. उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास का गठन किया. 30 नवंबर 2006 को स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने अनुयायियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि की परिक्रमा भी की थी. हालांकि समय समय पर स्वरूपानंद मोदी सरकार को भी घेरते रहे. राम मंदिर को लेकर उनका एक बयान भी काफी चर्चा में रहा था. शंकराचार्य ने कहा था कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर नहीं बन रहा है. वहां आने वाले दिनों में विश्व हिंदू परिषद का कार्यालय बनेगा. मंदिर वह बनाते हैं, जो राम को मानते हैं. राम को आराध्य मानते हैं. राम को महापुरुष मानने वाले लोग मंदिर नहीं बनाते. भगवान राम महापुरुष नहीं, भगवान हैं. केवल भगवा पहन लेने मात्र से कोई सनातन धर्म को मानने वाला नहीं बन जाता है.
11 सितंबर को हुए थे 99 साल के
मालूम हो कि बीते 11 सितंबर को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 99 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. परमहंसी गंगा आश्रम, झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर में उन्होंने दोपहर 3.30 बजे अंतिम सांस सांस ली.