Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है. ऐसे में भला कैसे हो सकता है कि श्री राम की बहन की तरफ से राखी न आए तो आइए हम आपको बताते है. आपको श्री राम की बहन शांता के बारे में और हर वर्ष अयोध्या भेजी जाने वाली इस राखी की परंपरा क्या है.


पुराणों की मानें तो महाराज दशरथ की एक पुत्री भी थी जिसका नाम शांता था महारानी कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति रोमपाद जो अंग देश के राजा थे निःसंतान थे. लिहाजा जब उन्होंने शांता जैसी कन्या की कामना की तो महाराज दशरथ और कौशल्या ने शांता को गोद दे दिया बड़ी होने पर राजा रोमपाद ने इनका विवाह श्रृंगी ऋषि से उनका विवाह कराया था हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और कर्नाटक के श्रंगेरी में श्रृंगी ऋषि और शांता के मंदिर हैं कर्नाटक के श्रंगेरी शहर का नाम श्रृंगी ऋषि के नाम पर ही है.


हर साल बांधी जाती है राखी
भगवान राम को उनकी बहन हर वर्ष राखी बांधती है. यह परंपरा कायम है और रक्षाबंधन पर्व  हिमाचल के कुल्लू में शृंग ऋषि और शांता मंदिर से भगवान राम के लिए राखी अयोध्या पहुंच गई है. इसके साथ ही अयोध्या और अंबेडकर नगर जनपद के बॉर्डर पर बने प्राचीन श्रृंगी ऋषि आश्रम माता शांता मंदिर से भी गाजे बाजे साथ बड़ी संख्या में महिलाएं राखी के साथ पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के आवास पर पहुंची और उन्हें राखी सहित 56 भोग और फल समर्पित किया.


इसी राखी को जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास इस रक्षा सूत्र को राम लला की कलाई में बांधेंगे. श्रृंगी ऋषि आश्रम से आई राखी की सबसे बड़ी खासियत है कि सावन की शुरुआत होने के साथ ही साथ महिलाओं की एक ग्रुप में अपने हाथों से रेशम के धागों से राखी का निर्माण किया और निर्माण के दौरान प्रतिदिन बकायदा वैदिक परंपरा के अनुसार पूजा पाठ के बाद ही राखी बनाने का काम शुरू किया जाता था.


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