प्रयागराज में दुर्गा पूजा पर प्रतिमाओं का विसर्जन संगम के नजदीक गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में कराए जाने का आदेश दिए जाने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है. जनहित याचिका में हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के तहत देवी प्रतिमाओं का विसर्जन कराए जाने की मांग की गई है. इसके साथ ही केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राज्य सरकार की गाइड लाइन के तहत विसर्जन कराने की भी मांग की गई है. इस मामले में चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की डिवीजन बेंच का फैसला शुक्रवार को आ सकता है.


यह जनहित याचिका समाजसेवी योगेंद्र कुमार पांडेय, इलाहाबाद दुर्गा पूजा समिति के सचिव एवं बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॉ पीके राय, पूर्व पार्षद कमलेश सिंह एवं अधिवक्ता प्रियंका श्रीवास्तव की ओर से दाखिल की गई है. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं की तरफ से उनके अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा ने दलीलें पेश की. उनके मुताबिक पूर्व में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन यमुना किनारे सरस्वती घाट पर होता था. 2014 में गंगा प्रदूषण पर उनकी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. कोर्ट ने गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन गंगा किनारे कृत्रिम तालाब बनाकर कराने का आदेश दिया था.


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अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा के मुताबिक हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में फिर से कृत्रिम तालाब में विसर्जन का आदेश पारित किया. कृत्रिम तालाब और व्यवस्था कराने के लिए यूपी सरकार ने पैंसठ लाख रुपये का बजट भी मंजूर किया था. साल 2019 तक गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन कराया जाता रहा. इसके बाद प्रशासन अंदावा के तालाब में मूर्ति विसर्जन करा रहा है. 


दावा किया गया है कि तालाब का पानी गंदा होने से लोगों की धार्मिक आस्था की ठेस पहुंच रही है. तालाब का जल दूषित होने के चलते लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. दलील दी गई कि इस वर्ष भी प्रशासन की योजना अंदावा के गंदे तालाब में मूर्ति विसर्जन कराने की है. सुनवाई में सरकारी वकील ने अंदावा तालाब की वर्तमान स्थिति और इससे जुड़ी जानकारी पेश की. दावा किया कि कृत्रिम तालाब में ही विसर्जन कराया जा रहा है, जिसका याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा विरोध करते हुए इसे गलत बताया गया.


   इस जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुना सकता है. हाईकोर्ट से आने वाले फैसले से ही यह तय होगा कि प्रयागराज में इस बार दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन कहां किया जाएगा. पिछले पांच सालों की परंपरा बरकरार रहेगी या फिर पुरानी परंपरा फिर से बहाल होगी.