Sharib Rudaulvi Death: जिंस-ए-वफ़ा के वास्ते बाज़ार चाहिए, क़ीमत जो दे सके वो ख़रीदार चाहिए, उस की गली में जाते तो हैं आप मीर जी, वां सर ही चाहिए न ये दस्तार चाहिए... इन पंक्तियों के साथ अनेक गजल, लेख लिखने वाले अजीम शायर और उर्दू अदब के चिराग प्रो. शारिब रुदौलवी बुधवार (18 अक्टूबर) को दुनिया से रुखसत हो गए. उनके निधन के बाद उर्दू अदब व साहित्य की दुनिया गम में डूब गई. 


प्रो. शारिब रुदौलवी पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. वे डेंगू के कारण लखनऊ के अस्पताल में भर्ती थे. जहां उन्होंने बुधवार को 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उन्हें देर शाम कर्बला अब्बास बाग में नम आंखों से सुपुर्द-ए-खाक किया गया. उनके निधन पर यूपी के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुख जताया है. 


अखिलेश यादव ने जताया दुख


अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "मशहूर शायर एवं लेखक 'यश भारती' पुरस्कार से सम्मानित जनाब शारिब रुदौलवी जी का इंतक़ाल, अपूरणीय क्षति. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करे, भावभीनी श्रद्धांजलि." 






यश भारती समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले


एक सितंबर 1935 को अयोध्या के रुदौली में प्रो. शारिब रुदौलवी का जन्म हुआ था. उनका नाम मुसय्यब अब्बासी था, बाद में वे प्रो. शारिब रुदौलवी के नाम से मशहूर हुए. उनके दादा और पिता अरबी और फ़ारसी के महत्वपूर्ण विद्वान माने जाते थे.


उन्होंने उर्दू साहित्य में अपनी उच्च शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त की. उनकी शादी उर्दू साहित्यकार शमीम निकहत से हुई थी. पांच साल पहले उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया था. प्रो. शारिब रुदौलवी को यश भारती, पश्चिम बंगाल उर्दू एकेडमी के नेशनल अवाॅर्ड सहित 21 प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया था.


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