शिव, राम, हनुमान....जानिए किस भगवान को कौन सा प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
कौन से भगवान को कौन सा प्रसाद चढ़ाना चाहिए। प्रसाद चढ़ाने का महत्व क्या है। इसके बारे में बताया है पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने।
नई दिल्ली, पं.शशिशेखर त्रिपाठी। किस भगवान को कौन सा प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इसके पीछे का कारण क्या है। भगवान को प्रसाद चढ़ाते वक्त किस बात का ध्यान रखें। इस बारे में विस्तृत जानकारी दी है पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने।
भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जो कोई भक्त मेरे लिये प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र पुष्पादि मैं सगुण रूप से प्रकटहोकर प्रीति सहित खाता हूं।
पूजा-पाठ या आरती के बाद तुलसीकृत जलामृत व पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को 'प्रसाद' कहते हैं। पूजा के समय जब कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं के समक्ष प्रस्तुत की जाती है, तो वह सामग्री प्रसाद के रूप में वितरण होती है। इसे 'नैवेद्य' भी कहते हैं।
हिन्दू धर्म में मंदिर में या किसी देवी या देवता की मूर्ति के समक्ष प्रसाद चढ़ाने की प्राचीन काल से ही परंपरा रही है। यह बहुत महत्वपूर्ण सवाल है कि किस देवता को कौन-सा प्रसाद चढ़ता है। आजकल लोग कुछ भी लेकर आ जाते हैं और भगवान को चढ़ा देते हैं, जबकि यह अनुचित है। यह तर्क देना कि 'देवी या देवता तो भाव के भूखे होते हैं, प्रसाद के नहीं', उचित नहीं है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किस देवता को चढ़ता है किस चीज का प्रसाद जिससे कि वे प्रसन्न होंगे।
भगवान को चढ़ाएं कौन सा प्रसाद
गणेश भोग :
गणेशजी को मोदक या लड्डू अच्छा लगता है। इसके अलावा आप उन्हें बूंदी के लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं। गणपति जी को गन्ने की गडेरी, कैथा, जामुन, सूखी गरी और गुड़ बहुत ही प्रिय है।
राम भोग :
भगवान श्रीरामजी को केसर युक्त खीर और पूरे घर के भोजन के साथ कलाकंद पसंद हैं।
विष्णु भोग :
विष्णुजी को किशमिश का भोग लगाना चाहिए। साथ ही आवले का भोग लगाना अतिशुभ होता है। खीर में सूखे मेवे डालने चाहिए और अंत में तुलसी जरूर डालें। उसे उत्तम प्रकार से बनाएं और फिर विष्णुजी को भोग लगाने के बाद वितरित करें।
शिव भोग :
शिव को भांग और पंचामृत (दूध, दही, शहद, गंगा जल, घी) का पसंद है। श्रावण मास में शिवजी की उपवास रखकर उनको गुड़, चना और चिरौंजी के अलावा दूध अर्पित करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।
हनुमान भोग :
हनुमानजी को हलुआ, लाल व ताजे फल, गुड़ से बने लड्डू, गुड़ धनिया और तुलसी दल अर्पित करते हैं। शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं।
लक्ष्मी भोग : लक्ष्मीजी को धन की देवी माना गया है। कहते हैं कि अर्थ बिना सब व्यर्थ है। लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय भोग को लक्ष्मी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए। लक्ष्मीजी को सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, बहुत पसंद हैं।
दुर्गा भोग : माता दुर्गा को शक्ति की देवी माना गया है। दुर्गाजी को खीर, मालपुए, मीठा हलुआ, केले, नारियल, धान का लावाऔर मिष्ठान्न बहुत पसंद हैं। यदि आप माता के भक्त हैं तो बुधवार और शुक्रवार को पवित्र रहकर माताजी के मंदिर जाएं और उन्हें ये भोग अर्पित करें।
सरस्वती भोग : माता सरस्वती को दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू तथा धान का लावा पसंद है। सरस्वतीजी को यह किसी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए।
श्रीकृष्ण भोग :
भगवान श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री का भोग बहुत पसंद है।
काली और भैरव भोग : माता काली और भगवान भैरवनाथ को लगभग एक जैसा ही भोग लगता है। हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं। किसी अमावस्या के दिन काली या भैरव मंदिर में जाकर उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें। इसके अलावा इमरती, जलेबी और 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं।