समाजवादी नेता के नेपाल का उपराष्ट्रपति बनने पर आई शिवपाल यादव की प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा?
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने समाजवादी नेता के नेपाल के उपराष्ट्रपति (Nepal Vice President) बनने पर प्रतिक्रिया दी है.
Nepal Vice President: नेपाल (Nepal) के मधेस क्षेत्र के वरिष्ठ नेता रामसहाय प्रसाद यादव (Ram Sahay Prasad Yadav) ने सोमवार को देश के तीसरे उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की. राष्ट्रपति के कार्यालय ‘शीतल निवास’ में आयोजित एक विशेष समारोह में नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने 52 वर्षीय यादव को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) की प्रतिक्रिया आई है.
शिवपाल यादव ने कहा, "नेपाल में जनता समाजवादी पार्टी के नेता श्री रामसहाय प्रसाद यादव को नेपाल के उपराष्ट्रपति पद का कार्यभार ग्रहण करने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. उनके उपराष्ट्रपति चुने जाने से दक्षिण एशिया में लोकतंत्र एवं समाजवादी वैचारिकी को गुणात्मक शक्ति मिलेगी."
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इन्हें हराकर जीता चुनाव
जनता समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामसहाय प्रसाद यादव ने 17 मार्च को नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) की अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी अष्ट लक्ष्मी शाक्य को हराकर उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था. वह भारत की सीमा से लगे मधेस क्षेत्र के पहले नेता हैं, जो इस पद पर पहुंचे हैं.
नेपाल की राष्ट्रीय पोशाक पहनकर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए यादव ने नेपाली भाषा में शपथ ग्रहण की. इस समारोह में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’, प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष देवराज घिमिरे, पूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों और सांसदों समेत कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं.
उपराष्ट्रपति का तीसरा चुनाव
रामसहाय प्रसाद यादव को उनकी अपनी पार्टी के अलावा, नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओइस्ट सेंटर और सीपीएन-यूनीफाइड सोशलिस्ट के साथ-साथ अन्य दलों का समर्थन प्राप्त था. नेपाल ने वर्ष 2008 में संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र व्यवस्था को अंगीकार किया था, जिसके बाद से उपराष्ट्रपति पद के लिए यह तीसरा चुनाव है.
यादव की जीत से प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की अगुवाई वाली सरकार को मजबूती मिलेगी. पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए पौडेल का समर्थन करने को लेकर मतभेद के बाद उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.