UP News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक माता प्रसाद पांडेय उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता होंगे. यह पद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सांसद चुने जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की वजह से रिक्त हुआ था. हालांकि पहले अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव का नाम इस रेस में सबसे ऊपर माना जा रहा था.


लेकिन अब माता प्रसाद पांडेय के नाम का ऐलान होने के बाद तमाम तरह की राजनीति अटकलों पर विराम लग चुका है. वहीं दूसरी ओर शिवपाल यादव के राजनीतिक भविष्य को लेकर नई अटकलों शुरू हो चुकी है. हालांकि इन अटकलों के पीछे बीते छह महीने के राजनीतिक घटनाक्रम को वजह बताया जा रहा है. 


दरअसल, समाजवादी पार्टी ने चाचा शिवपाल को आजमगढ़ से अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन बाद में उन्हें बदायूं से उम्मीदवार बनाया गया, जहां पहले धर्मेंद्र यादव के नाम का ऐलान हो चुका था. धर्मेंद्र यादव को बदायूं के बदले आजमगढ़ सीट दे दी गई थी. चाचा शिवपाल को बदायूं भेजे जाने के बाद उनके बेटे आदित्य यादव के ऐलान की मांग ने जोर पकड़ा.


बेटे को मिला टिकट
चाचा शिवपाल ने भी अखिलेश यादव को एक चिट्ठी लिखी और आदित्य यादव को बदायूं से उम्मीदवार बनाए जाने की मांग कर दी. हालांकि उन्होंने अंतिम फैसला सपा प्रमुख पर ही छोड़ दिया और कहा कि अखिलेश यादव जो फैसला करेंगे वह उन्हें मंजूर होगा. लेकिन अखिलेश यादव ने बदायूं से चाचा शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को अपना उम्मीदवार बना दिया.


यानी चाचा शिवपाल लोकसभा चुनाव नहीं लड़े और अपनी सियासत बेटे के हवाले कर दी. अब लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव के द्वारा विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद नेता विपक्ष की कुर्सी खाली हुई तो शिवपाल यादव को सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था. लेकिन शिवपाल यादव को अब यह जिम्मेदारी नहीं मिली और माता प्रसाद पांडेय के नाम का ऐलान हुआ.


इसके संकेत पहले से ही मिल रहे थे कि विधान परिषद में लाल बिहारी यादव का नेता प्रतिपक्ष बना दिया था. तब माना जा रहा था विधान परिषद में यादव समाज से आने वाले नेता के ऐलान के बाद विधानसभा में अखिलेश यादव को नया दांव खेलने जा रहे हैं और बिल्कुल ऐसा ही हुआ. उन्होंने पीडीए के अपने फॉर्मूले को और धार देते हुए माता प्रसाद पांडेय के नाम का ऐलान कर बड़ा दांव खेल दिया.


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अखिलेश यादव के संदेश
लेकिन यहां बात शिवपाल यादव के सियासी भविष्य की होने लगी है. इसके लिए एबीपी न्यूज शिखर सम्मेलन में अखिलेश यादव द्वारा दिए गए एक बयान को आधार बनाया गया है. दरअसल, लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के परिवार से पांच लोगों को टिकट दिए जाने और परिवारवाद के लग रहे आरोपों पर सवाल किया गया.


इस सवाल का जवाब देते हुए सपा प्रमुख ने कहा कि विधानसभा चुनाव में परिवार का कोई नहीं लड़ेगा. मैं लड़ सकता हूं. मैं ज्यादा लोगों को लड़ाऊंगा. उन्होंने यह बयान देकर स्पष्ट कर दिया कि अब 2027 के विधानसभा चुनाव में उनके परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ेगा. तब जाकर सवाल उठा क्या अब शिवपाल यादव सक्रिय राजनीति से दूर जा रहे हैं?


लेकिन राजनीति के जानकारों की मानें तो चाचा शिवपाल अब सपा में संगठन के विस्तार के लिए पूरा समय देंगे. वह केवल पार्टी के संगठन की जिम्मेदारी संभालेंगे. आगामी विधानसभा चुनाव के लिए लिहाज से यह काफी अहम होगा क्योंकि पार्टी को बीते दो चुनावों में हार का सामना करना पड़ा चुका है.