नई दिल्ली,एएनआई। भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। शुक्रवार को पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में आंकड़ों से बुरी खबर सामने आई है। देश की जीडीपी पिछली तिमाही की अपेक्षा घट गई है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5.8 से गिरकर 5 फीसदी रह गई है। ये ग्रोथ रेट बीते सात साल में सबसे कम है।





2012-13 में जीडीपी 4.9 फीसदी रही थी। जीडीपी की इस गिरावट से तमाम क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ेगा। अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो जाएगी। रोजगार पर इसका बड़ा असर पड़ेगा।


जानिये क्या होती है जीडीपी


भारत में कृषि, उद्योग और सर्विसेज यानी सेवा तीन प्रमुख घटक हैं जिनमें उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत के आधार पर जीडीपी दर होती है। ये आंकड़ा देश के आर्थिक विकास का पैमाना तय करता है। सरल शब्दों में कहा जाये तो जीडीपी का आंकड़ा बढ़ा है तो आर्थिक विकास दर बढ़ी है और अगर ये कम है तो देश की माली हालत में गिरावट दर्ज की गई है।


इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये कई ऐलान किए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था सही रास्त पर है। बैंकों के विलय को लेकर बड़े एलान किये। कुछ ही देर बाद जीडीपी गिरावट की खबर आ गई जिसके बाद अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी चिंता सामने आई है।