Sanjeev Jeeva Murder: संजीव जीवा हत्याकांड के लिए दो पुलिस टीम का गठन, कोर्ट की सुरक्षा के लिए भी उठाए गए कदम
संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड की विवेचना के लिए पुलिस की दो टीम का गठन किया गया है. कोर्ट में सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने जिला और सत्र न्यायालयों में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ा दी है.
Shooter Sanjeev Jeeva Murder: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक अदालत में दिनदहाड़े बंदी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड की विवेचना के लिए पुलिस की दो टीम का गठन किया गया, जिसमें चार-चार पुलिसकर्मी शामिल किये गये हैं. पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इसके अलावा अदालत परिसर की चुस्त-दुरुस्त सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी चौकस इंतजाम किये गये हैं.
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) उपेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि जनपदीय न्यायालय परिसर लखनऊ में बंदी संजीव माहेश्वरी की हत्या के संबंध में राजधानी के वजीरगंज थाने में दर्ज मामले की विवेचना के त्वरित और सफल निस्तारण के लिए दो टीम का गठन किया गया है. इसके अलावा जनपदीय न्यायालय और उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ के पुराने परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए पुलिस निरीक्षक रामफल प्रजापति की नियुक्ति की गयी है.
जांच टीम में शामिल हैं ये लोग
उपेन्द्र अग्रवाल के मुताबिक विवेचना के लिए गठित टीम में वजीरगंज के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार मिश्र को विवेचक, अतिरिक्त निरीक्षक दुबग्गा राजेन्द्र कुमार शुक्ला को सह विवेचक, अतिरिक्त निरीक्षक बाजारखाला रमेश चंद्र यादव को सह विवेचक और वजीरगंज के उप निरीक्षक हरिद्वारी लाल को सह विवेचक बनाया गया है. इसके अलावा तकनीकी सहायता के लिए गठित दूसरी टीम में सर्विलांस सेल, पश्चिमी जोन के प्रभारी राजदेव प्रजापति के साथ सर्विलांस सेल के मुख्य आरक्षी विनय सिंह, गोविंद और आरक्षी नवीन प्रताप सिंह को शामिल किया गया है.
अग्रवाल ने बताया कि हत्यारोपी से घटना के बाबत पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में लेने के लिए अदालत में शनिवार को अर्जी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि घटना की जांच की जा रही है और आज अधिवक्ता संगठनों व अन्य लोगों के साथ हुई बैठक में सुरक्षा को लेकर कई बिंदुओं पर सहमति बनी है. अधिकारियों और अधिवक्ताओं का अलग-अलग फाटक से प्रवेश होगा. सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम होंगे. जीवा को छह गोलियां लगी थीं और उसे कुल 16 चोटें आयीं.
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अदालत में सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदम
संयुक्त पुलिस आयुक्त ने कहा कि अदालत में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. इस बीच पुलिस ने जिला व सत्र न्यायालयों में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ा दी है और हर फाटक पर मेटल डिटेक्टर लगा दिए हैं. अदालत में आने वाले वकीलों को अब अपना पहचान पत्र दिखाना पड़ता है और पुलिस अधिकारियों द्वारा उनकी तलाशी ली जा रही है.
उल्लेखनीय है कि मामले की जांच के लिए एक एसआईटी भी गठित की गयी है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एसआईटी यह पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करेगी कि कचहरी परिसर में मेटल डिटेक्टर काम कर रहे थे या नहीं. यह पता किया जाएगा कि अगर मेटल डिटेक्टर काम कर रहे थे तो आरोपी हथियार लेकर अदालत में कैसे घुसे और यदि वे नहीं काम कर रहे थे तो इसका क्या कारण था.
कौन था जीवा?
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के कथित सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार को लखनऊ अदालत परिसर के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हमले में एक बच्ची समेत दो अन्य लोग घायल हुए हैं. पुलिस द्वारा गिरफ्तार कथित हमलावर की पहचान विजय यादव (24) के रूप में की गई है जो जौनपुर जिले के केराकत पुलिस थाना अंतर्गत सर्की सुल्तानपुर गांव का निवासी है.
पुलिस ने बताया कि विजय को घटनास्थल पर ही पकड़ लिया गया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावर ने वकील की पोशाक पहन रखी थी और उसने छह गोलियां चलाईं. अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) (तकनीकी) मोहित अग्रवाल, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी नीलाब्जा चौधरी और पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) (अयोध्या) प्रवीण कुमार एसआईटी के सदस्य हैं.
जीवा (48) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का निवासी था. वह बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार में मंत्री रहे ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या का आरोपी था. उस पर हत्या, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के दो दर्जन मामले दर्ज थे. उधर, किंग जार्ज चिकित्सा विवि ट्रामा सेंटर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि घटना में जिस बच्ची को गोली लगी थी, उसका सफल ऑपरेशन करके गोली निकाल दी गयी है.