Government Hospital in Kanpur: कोरोना की तीसरी लहर निकट है. स्वास्थ्य विभाग तमाम तैयारियां करने का दावा कर रहा है पर नॉन कोविड-19 अस्पताल और तमाम समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. ICU तो चल रहा है लेकिन शासन के अभिलेखों में दर्ज ना होने से प्रशिक्षित स्टाफ उर्सला अस्पताल को नहीं मिल पा रहा है. वहीं पीआईसीयू में वेंटिलेटर तो हैं, पर एनएसथेटिस्ट ना होने से रोगियों को इसकी सुविधा नहीं मिल पा रही है और इन सभी मुद्दों के संबंध में शासन स्तर पर तमाम जनप्रतिनिधियों ने मामला भी उठाया है. लेकिन अभी तक इस के संबंध में कोई कागजात आगे नहीं बढ़े हैं और ना ही पीडियाट्रिक आईसीयू की स्थिति में बदलाव आया है.


नहीं मिल रहा है बजट 


आईसीयू के अभिलेखों में दर्ज ना होने से उपकरणों और इस्तेमाल होने वाली दूसरी चीजों का भी बजट नहीं मिल पा रहा है. आईसीयू के लिए अलग से कोई इंटेंसिविस्ट की भी तैनाती नहीं है. जनरल स्टाफ से ही और संविदा पर तैनात कर्मियों से ही काम चलाया जा रहा है. पीआईसीयू के लिए भी प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है. अस्पताल आने वाले गंभीर रोगियों को रेफर कर दिया जा रहा है, जबकि यहां कई बाल रोग विशेषज्ञ तैनात हैं. अस्पताल के सीएमएस डॉ अनिल निगम का कहना है कि शासन से इस बाबत कई पत्राचार किया जा चुका है. 


जुगाड़ से चल रहा है ICU


हालांकि, उर्सला अस्पताल में संभावित कोविड की तीसरी लहर के पहले 500 लीटर प्रति मिनट की क्षमता का प्लांट शुरू हो चुका है. 35 बेड बच्चों के अलग से सुरक्षित हैं. जिनमे 10 बिसतर PICU के हैं. हालांकि उर्सला के ICU को अबतक शासन ने स्वीकृत नहीं किया है, और कई अव्यवस्थाओं को जुगाड़ करके चलाया जा रहा है. 


प्रशासन का ये है कहना 


उर्सला प्रशासन की माने तो रोगियों को अच्छी सुविधा देने के लिए अपने स्तर से एक यूनिट सेटअप की है. जब सरकार की तरफ से थोड़ा बजट मिला था तो इस यूनिट को आईसीयू की तर्ज पर चलाया जा रहा है. बहुत से नर्सिंग स्टाफ प्राइवेट नर्सिंग होम्स में काम करके यहां पर आया है. उर्सला प्रशासन ने उनमें से कुछ नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर को इस यूनिट को चलाने का ज़िम्मा दिया है. इस बीच शासन को बार-बार अवगत भी कराया जा रहा है. लेकिन ट्रेंड स्टाफ और मैनपावर की कमी बरकरार है. 


ट्रेंड स्टाफ नहीं


उर्सला के CMS की माने तो अगर उन्हें ट्रेंड स्टाफ और मेन पावर मिल जाती है तो और अच्छी तरह से ICU को चला पाएंगे. अगर ऐसा हो जाएगा तो इन कामों के लिए NGO के सामने जो हाथ पैर जोड़ने पड़ते हैं वह नहीं जोड़ने पड़ेंगे. उर्सला के पास एक एनएसथेटिस्ट है और दो संविदा पर हैं. तीन OT और अस्पताल में चलती है. जो 64-65 साल के हैं, जिनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता इसके लिए शासन को लिखा जा चुका है. हम शासन को पत्र लिख चुके हैं कि हमें अनेस्थीस्ट दिया जाए. कई बार पत्र लिखे हैं लेकिन अभी तक नहीं दिया गया है. 


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