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Shravasti News: आशा और संगिनी कार्यकर्ताओं का बकाया मानदेय के लिए प्रदर्शन , 15 दिनों का दिया समय
प्रार्थना पत्र में उन्होंने कहा कि आशा और संगिनी का वर्ष 2021 से कई मदों का भुगतान अभी तक लंबित है. जनवरी 2022 से बढ़ा हुआ मानदेय आज तक नहीं मिला है. सरकार ने 750 से बढ़ाकर 15 सौ मानदेय कर दिया था.
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Shravasti News: श्रावस्ती में मानदेय भुगतान नहीं होने पर आज आशा और संगिनी ने संयुक्त रूप से कार्य बहिष्कार कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. मामला इकौना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है. आशा और संगिनी के कार्य बहिष्कार से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. आशा और संगिनी का आरोप है कि तीन चार महीने से मानदेय नहीं दिया गया है. पैसे के अभाव में घर परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लगातार काम करवाए जा रहे हैं. बावजूद इसके मानदेय भुगतान पर किसी का ध्यान नहीं है. आशा और संगिनी ने संयुक्त रूप से एक प्रार्थना पत्र सीएससी अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव को दिया.
आशा और संगिनी का 2021 से कई मदों का भुगतान लंबित
प्रार्थना पत्र में उन्होंने कहा कि आशा और संगिनी का वर्ष 2021 से कई मदों का भुगतान अभी तक लंबित है. जनवरी 2022 से बढ़ा हुआ मानदेय आज तक नहीं मिला है. राज्य सरकार ने 750 से बढ़ाकर 15 सौ मानदेय कर दिया था. संचारी रोग नियंत्रण अभियान, पोलियो, मलेरिया, फाइलेरिया, टीवी, कुष्ठ रोग, विशेष कोविड-19 सर्विलांस से ट्रेनिंग के पैसे अभी तक बाकी हैं. कई बार लिखित और मौखिक शिकायत के बाद भी प्रशासन भुगतान नहीं कर रहा है.
15 दिनों में मांग पूरी नहीं होने पर किया जाएगा सड़क जाम
प्रदर्शनकारी आशा और संगिनी की मांग पर सीएससी अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने लिखित आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि 15 दिनों के अंदर खाते में बकाया मानदेय पहुंच जाएगा. सीएससी अधीक्षक के आश्वासन पर दो घंटे में आंदोलन को आशा और संगिनी ने वापस ले लिया. उन्होंने चेतावनी दी है कि 15 दिनों में मानदेय भुगतान नहीं होने पर सड़क जाम किया जाएगा और जिम्मेदार प्रशासन होगा. आशा और संगिनी का कहना है कि कोरोना काल में आशाओं को सबसे आगे रखा गया.
आशाओं की वजह से ही कोरोना की स्थिति पर आज नियंत्रण है. सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं में आशाओं का ही मुख्य रूप से काम होता है. इसके बावजूद देखा जा रहा है कि आशाओं को मानदेय नहीं दिया जाता है. बिना पैसे के अब घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आने के लिए भाड़ा लगता है. आशाओं का कहना है कि बार-बार अधिकारी केवल तारीख पर तारीख देते हैं लेकिन मानदेय नहीं दिया जाता है.
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