Shravasti News: श्रावस्ती में बड़े पुरुष की दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है. नफरत के माहौल में भी हिंदू-मुस्लिम एकता दरगाह पर दिखती है. बड़े पुरुष की दरगाह पर लगने वाले मेले में 80 फीसद हिंदू समुदाय से होते हैं. मान्यता है कि दरगाह पर दुआ मांगने से जायरीनों की मुराद पूरी होती है. जायरीन देश विदेश से बड़ी संख्या में बड़े पुरुष के दर पर हाजिरी लगाने आते हैं. बड़े पुरुष की मजार पर दुआ मांगने के बाद जायरीनों का काफिला बहराइच दरगाह पहुंचता है.
बड़े पुरुष की दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता की बनी मिसाल
बहराइच में सैय्यद सालार की मजार भी अकीदतमंदों के बीच आस्था का प्रतीक है. एबीपी गंगा से बातचीत में जायरीनों ने बड़े पुरुष की मजार के प्रति श्रद्धा प्रकट की. नेपाल, गोरखपुर, प्रयागराज, कोलकाता से आए हिंदू जायरीनों ने बताया कि बड़े पुरुष की मजार पर चादरपोशी करते हैं. उनका कहना है कि बड़े पुरुष के दर पर दुआ मांगने से मन की मुराद पूरी होती है. मुसलमानों के मुकाबले आज भी हिंदू समुदाय के जायरीनों की संख्या ज्यादा होती है.
जाति, धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर उमड़ते हैं जायरीन
कई जायरीनों ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से बड़े पुरुष की दरगाह पर पहुंच रहे हैं. मजार पर हाजिरी देने आए जायरीनों का उत्साह देखते ही बन रहा था. अकीदतमंदों की जाति, धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर भावनाएं उमड़ती हैं. बड़े पुरुष की मजार पर अमीरी-गरीबी का भेदभाव मिट जाता है. सोनवा के दिकौली में लगने वाले बड़े पुरुष की दरगाह पर मेला की चहलपहल देखते ही बनती है. बड़े पुरुष की दरगाह के बाद जायरीन बहराइच में सैय्यद सालार की मजार पर हाजिरी देने पहुंचते हैं. मेले की शुरुआत श्रावस्ती के दिकौली स्थित बड़े पुरुष मजार की जियारत से होती है.