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UP Politics: खतरे में पड़ी बीजेपी विधायक राम फेरन की सदस्यता, झूठा हलफनामा देने के आरोप में हाईकोर्ट ने किया तलब
Petition in High Court against BJP MLA: श्रावस्ती विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राम फेरन की विधायक की सदस्यता खतरे में आ गई है. सपा नेता असलम राईनी ने उनके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.
Petition Files Against BJP MLA Ram Pheran Pandey: यूपी की श्रावस्ती विधानसभा (Shravasti) से बीजेपी विधायक रामफेरन पांडेय (Ram Pheran Pandey) का विधायक पद खतरे में आ गया है. सपा के पूर्व विधायक असलम राईनी (Aslam Raini) ने उनकी विधायकी को हाईकोर्ट (High Court) में चुनौती दी है. असलम राईनी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि बीजेपी विधायक ने नामांकन के दौरान जो हलफनामा दाखिल किया है वो अवैध है. रामफेरन पर चुनाव आयोग को अपने दर्जनों आपराधिक मुकदमों, शैक्षिक योग्यता, इनकम टैक्स, संपत्ति, बैंक लोन, गाड़ी, असलहा को लेकर झूठा हलफनामा दाखिल करने का आरोप है.
बीजेपी विधायक के पर गंभीर आरोप
बीजेपी विधायक (BJP MLA) पर 28 साल से दर्जनों आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं, लेकिन विधायक जी का केस आज तक MP & MLA कोर्ट पर नहीं गया लेकिन अब हाईकोर्ट ने विधायक रामफेरन (Ram Pheran) को 30 मई से पहले तलब कर लिया है. बीजेपी विधायक ने यूपी की श्रावस्ती सीट (Shravasti Seat) से 1457 वोटों से जीत हासिल की है. दूसरे नंबर पर सपा के पूर्व विधायक असलम राईनी (Aslam Raini) रहे थे. राईनी द्वारा दायर की गई चुनाव याचिका में विधायक रामफेरन पर चुनाव आयोग को अपने दर्जनों आपराधिक मुकदमों, शैक्षिक योग्यता, इनकम टैक्स, संपत्ति, बैंक लोन, गाड़ी, असलहा को लेकर झूठा हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है. उनका आरोप है कि बीजेपी विधायक ने अपनी बहुत सी संपत्ति को छुपाया है. जिसका प्रमाण वो हाईकोर्ट को दे चुके हैं. उन्होंने अपनी 10 करोड़ की संपत्ति को 5 करोड़ ही दिखाया है.
सपा नेता असलम राईनी ने दाखिल की याचिका
बीजेपी विधायक पर ये भी आरोप है कि 2017 विधानसभा चुनाव के नामांकन में चुनाव आयोग को अपने आपराधिक मुकदमे, शैक्षिक योग्यता, संपत्ति, बैंक लोन को लेकर भी उस समय झूठा हलफनामा दाखिल किया था लेकिन 2017 में किसी ने हाईकोर्ट में इनकी विधायकी को चुनौती नहीं दी थी. इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अब विधायक रामफेरन से 30 मई से पहले अपना पक्ष रखने के लिए साक्ष्य मांगा है. जिसका जवाब विधायक रामफेरन को तय समय में देना होगा. यदि विधायक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए तो हाईकोर्ट इनकी विधायकी को रद्द कर 6 माह में पुनः श्रावस्ती में विधानसभा चुनाव करा सकती है.
बीजेपी विधायक पर ये भी आरोप है कि 2017 विधानसभा चुनाव के नामांकन में चुनाव आयोग को अपने आपराधिक मुकदमे, शैक्षिक योग्यता, संपत्ति, बैंक लोन को लेकर भी उस समय झूठा हलफनामा दाखिल किया था लेकिन 2017 में किसी ने हाईकोर्ट में इनकी विधायकी को चुनौती नहीं दी थी. इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अब विधायक रामफेरन से 30 मई से पहले अपना पक्ष रखने के लिए साक्ष्य मांगा है. जिसका जवाब विधायक रामफेरन को तय समय में देना होगा. यदि विधायक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए तो हाईकोर्ट इनकी विधायकी को रद्द कर 6 माह में पुनः श्रावस्ती में विधानसभा चुनाव करा सकती है.
रामफेरन पर दर्ज है कई मुकदमें
आपको बता दें कि विधायक रामफेरन पर लगभग 28 साल से विभिन्न मुकदमें दर्ज है. कई बार लकड़ी चोरी के आरोप में उन पर जुर्माना भी लग चुका है और वो जेल भी जा चुके हैं. 2017 में उन पर आचार संहिता का उल्लंघन का मामला आज भी दर्ज है. असलम राईन पूर्वांचल के जुड़े जमीनी नेता माने जाते हैं. 2022 विधानसभा चुनाव से पहले बसपा के 6 विधायकों के साथ असलम राईनी ने सपा का दामन थामा था, जिसके बाद यूपी की सियासत में हलचल मच गई थी.
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प्रफुल्ल सारडा,राजनीतिक विश्लेषक
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