उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के श्रावस्ती (Shravasti) जिले के गांवों में उजाले के लिए शासन से आदेश के बाद विद्युत पोल पर सरकारी खजाने से लाखों खर्च कर प्रधान ने स्ट्रीट लाइटें लगवाईं लेकिन कुछ ही दिन में लाइटें बंद होने लगीं. वर्तमान स्थिति यह है कि शायद ही किसी गांव में स्ट्रीट लाइट जल रही हो लेकिन सरकारी फाइलों में तो गांव रोशन हैं. श्रावस्ती जमुनहा के अधिकतर गांवों में सरकारी आदेश आने के बाद टेंडर कर प्रधानों ने विद्युत पोल पर लाइटें लगवाईं थीं. स्ट्रीट लाइट लगाने वाली संस्था ने एक से दो वर्ष तक की वारंटी देकर लाइट लगाया. ब्रांड के नाम पर एक हजार से पन्द्रह सौ तक की लाइटों का भुगतान सरकारी खजाने से पैतीस सौ से चार हजार तक का किया गया.
ग्राम प्रधान ने पल्ला झाड़ा
लाइट लगने के बाद गांव में रोशनी भी फैली लेकिन यह 15 दिन से एक महीने बाद बंद होनी शुरू हो गई और गांव मे फिर से अंधेरा छा गया. यहां पर लगी स्ट्रीट लाइट तो जली ही नहीं. इसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने ग्राम प्रधान से की तो प्रधान ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए इसका ठीकरा ठेकेदार पर थोपते हुए कहा कि, ग्राम पंचायत में स्ट्रीट लाइट लगने का कार्य चल रहा है. जो नहीं जल रही है उसकी शिकायत ठेकेदार से की गई फिर भी न सही होने पर उच्चाधिकारियों को शिकायत किया जाएगा.
मोटी रकम की बंदरबांट
अच्छी कम्पनी की स्ट्रीट लाइट लगाई गई होती है तो यह समस्या नहीं आती लेकिन यहां तो लोकल स्ट्रीट लाइट लगवाकर ओरिजनल स्ट्रीट लाइट का पेमेंट कर मोटी रकम का बंदरबांट किया गया है. इससे सरकारी फाइलों में भले ही स्ट्रीट लाइटें रोशनी दे रही हों, हकीकत में यह धीरे धीरे सब खराब हो जाएंगी.
गंभीर कार्रवाई होगी-डीपीआरओ
DPRO आनन्द प्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया कि, स्ट्रीट लाइट शासन की प्राथमिकता का कार्यक्रम है. ग्राम पंचायत में सचिवालय की स्थापना उसमें कंप्यूटर स्टैबलिश करना, ग्राम पंचायतों के हर पोल पर स्ट्रीट लाइटों का निर्देश शासन द्वारा प्राप्त हुआ है. उसकी एमआरपी और निर्धारित कंपनियां निश्चित कर दी गईं. उससे अलग हटके जहां भी ग्राम पंचायत लगवा रहे हैं, उनके खिलाफ बहुत ही गंभीर कार्रवाई होगी. जहां भी लाईट एक दो दिन में ही बंद हो जा रही है उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाएगी.
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