शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट शामिल, कहा- 'एकजुट होकर लड़ें कानूनी जंग'
Shri Krishna Janmbhoomi: ट्रस्टी विनोद कुमार बिंदल ने कहा कि हमने सारी तैयारी करने के साथ केस दायर किया है. हम चाहते है कि बाकी जितने भी वादी है वो अपना केस वापस ले और हमारे साथ मिलकर केस लड़े.
Shri Krishna Janmbhoomi: मथुरा में भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के जमीनी विवाद में अब श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट भी शामिल हो गया है. इस विवाद में जहां अभी तक श्री कृष्ण जन्मभूमि के भक्त या सनातनी लोग ही शामिल थे वहीं अब 18 वादों में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने भी केस दायर कर दिया और मंदिर के पक्ष में दावा करने वाले सभी दावेदारों से एकजुट होकर कानूनी लड़ाई लड़ने का आह्वान किया.
श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य विनोद कुमार बिंदल ने इसे लेकर गुरुवार को एक प्रेसवार्ता की. इस दौरान उनके साथ गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि अब हम अपनी ओर से भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए केस दायर कर चुके है. हमारे केस को कोर्ट ने संज्ञान में लिया है. ऐसे में इससे संबंधित बाकी के वाद 17 केस बेकार माने जा सकते है. क्योंकि कृष्ण जन्मभूमि पर अधिकार जमीन और शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन भी हमारी है तो इसमें बाकी अन्य वादी या भक्त का केस लड़ना वाजिब नहीं है.
एकजुट होकर लड़ें कानूनी लड़ाई
विनोद कुमार बिंदल ने कहा कि हमने अपनी सारी तैयारी करने के बाद अपना केस दायर किया है और अब हम चाहते है कि बाकी जितने केस दायर है उन्हें अपनी अपनी याचिका और मुकदमे वापस ले लेने चाहिए. अगर वो भगवान श्री कृष्ण की जमीन को वापस लाना चाहते है तो उन्हें हमारे साथ खड़ा होकर हमारे केस में ही साथ आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कागजी तौर पर इस मामले में हम ही सच्चे वादी है और बाकी सब बेकार है. क्योंकि अगर शाही ईदगाह हटी तो वो मिलेगी तो श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को ही, जबकि 18 केस होने के कारण शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े मुस्लिम पक्ष को हमारे केस को कमजोर करने में मदद मिलेगी.
जन्मभूमि के ट्रस्टी ने कहा कि हम यही चाहते है कि इस मामले में जितने भी वादी है वो सभी लोग साथ आएं और अपने-अपने केस वापस लें. उनका केस लड़ना बेबुनियाद है क्योंकि कृष्ण जन्मभूमि हमारी है और ईदगाह की जमीन भी सारे कागजों में हमारी ही है इसलिए हमारा केस ही मजबूत है. अलग-अलग दावों की वजह से अदालती कार्रवाई अनावश्यक रूप से लंबी हो रही है.
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