Ram Mandir News: अयोध्या का श्री राम जन्मभूमि मंदिर जैसे-जैसे पूर्णता की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे उसका पूरा स्ट्रक्चर निखर कर सामने आ रहा है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की माने तो मंदिर के भूतल समेत तीनों तलों पर कुल मिलाकर 50 दरवाजे होंगे, भूतल के जो दरवाजे होंगे वह स्वर्ण जड़ित होंगे, जबकि मंदिर का मुख्य शिखर पूरा स्वर्ण जड़ित होगा. अन्य मंदिर के शिखर के शीर्ष बिंदु पर ही केवल स्वर्ण का काम होगा इसी के साथ मुख्य मंदिर और इसके चारों तरफ बनने वाले 7 अन्य मंदिरों के बीच एक कुंड होगा जो भक्तों के लिए आस्था का केंद्र भी होगा.


श्री राम जन्मभूमि मंदिर के भूतल के सभी दरवाजे स्वर्ण जड़ित होंगे, शेष तल के अन्य दरवाजे टीक वुड से बने होंगे. सभी दरवाजों पर देवी देवताओं समेत भिन्न-भिन्न खूबसूरत नक्कासी दिखाई देगी जिसका काम इन दिनों तेजी से चल रहा है. भूतल समेत तीनों तलों पर कुल 50 दरवाजे होंगे. मंदिर का मुख्य शिखर पूरी तरह स्वर्ण जड़ित होगा तो अन्य शिखरों पर सबसे शीर्ष पर जहां आस्था का यंत्र रखा जाएगा. वहां स्वर्ण का काम होगा. 


निर्माण समिति अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने दी जानकारी
राम मंदिर निर्माण समिति अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के मुताबिक,  जो दरवाजे लगने हैं सब मिला करके करीब 50 दरवाजे अलग-अलग मंदिरों को मिला करके लगेंगे. जो स्वर्ण का काम है वह केवल भूतल पर ही होगा बाकी स्वर्ण का काम शिखर पर होगा और अन्य जो मंडप है जिनमें शिखर है उनके ऊपर शीर्षक बिंदु पर जो है गोल्ड का कार्य पूरे स्वर्ण जड़ित नहीं होंगे. उनका जो अपेक्स होगा बिंदु होगा, जहां की एक तरीके से आप समझे आस्था का एक यंत्र रखा जाता है उसको जब हम रखेंगे. वहां पर गोल्डन प्लेट दिया जाएगा बाकी जो दरवाजे हैं. वह टीक वुड के ही होंगे और उनका निर्माण जारी है. 


श्री राम जन्मभूमि मंदिर के अतिरिक्त चारों तरफ सात अन्य मंदिर होंगे, जिनके बीच एक कुंड होगा जिसमें सरयू समेत देश की प्रमुख नदियों का जल होगा. यह कुंड राम भक्तों के लिए आस्था का केंद्र भी होगा. राम मंदिर निर्माण समिति अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि, वह कुंड पुष्कर्णी है वह जो सात मंदिर है उसके चारों ओर यानि बीच में पुष्कर्णी होगी और सातों मंदिर उसके दिशाओं में होंगे. चारों दिशाओं में सात मंदिर दिखाई देंगे. पुष्कर्णी तो एक प्रकार से आप समझे कि जल का संसाधन वहां कैसे होगा और वहां पर लोग अपनी आस्था को किस प्रकार से प्रस्तुत कर सकेंगे, पालन कर सकेंगे, यह ध्यान में रखकर के उसको किया जाएगा.


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