नई दिल्ली, एबीपी गंगा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खास रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अब 'पंजा' छोड़कर 'कमल' थाम लिया है। सिंधिया के इस फैसले ने राजनीतिक जगत में खलबली मचा दी। वहीं, कांग्रेस के लिए भी ये चौंकाने वाली खबर थी। सिंधिया ने बीजेपी में जाने का फैसला रातों-रात नहीं लिया। दरअसल, सिंधिया के इस फैसले के पीछे एक महिला का बड़ा योगदान रहा, जिनका नाम है- शुभांगिनी राजे गायकवाड़। 75 वर्षीय शुभांगिनी बीजेपी नेता हैं।


शुभांगिनी राजे ज्योतिरादित्य सिंधिया की ससुराल बड़ौदा राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। बड़ौदा शाही परिवार में उन्हें राजमाता का दर्जा हासिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, शुभांगिनी राजे ही ज्योतिरादित्य को पीएम मोदी के करीब लेकर आईं। उन्होंने ही दोनों नेताओं के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाई। बतादें कि शुभांगिनी का संबंध भी ग्वालियर से है। वह ग्वालियर के शाही जाधव परिवार से हैं।


दो बार लड़ा लोकसभा चुनाव
शुंभागिनी राजे बड़ौदा के खेड़ा संसदीय क्षेत्र से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। उन्होंने 1996 में निर्दलीय और 2004 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि दोनों चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के अलावा वड़ोदरा से भी पर्चा दाखिल किया था। शुभांगिनी राजे उस वक्त मोदी के साथ थी। वे बतौर प्रस्तावक मोदी के साथ थी। शुभांगिनी 2015 से बड़ौदा की द महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी की चांसलर हैं। बतादें कि शुभांगिनी के पति रणजीत सिंह गायकवाड़ कांग्रेस के नेता रहे हैं। रणजीत सिंह साल 1980 से 89 तक सांसद भी रहे।


बड़ौदा राजघराने से हैं ज्योतिरादित्य की पत्नी
ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे बड़ौदा राजघराने से हैं। बड़ौदा की राजमाता शुभांगिनी राजे प्रियदर्शिनी की बड़ी मां हैं।