UP Election 2022: आजादी के बाद इस जिले में किसी भी पार्टी ने नहीं दिया महिलाओं को टिकट, आखिर क्यों नहीं है आधी आबादी पर भरोसा?
उत्तर प्रदेश के बरेली की तो बरेली में 9 विधानसभा हैं लेकिन आज तक यहां पर किसी भी पार्टी ने महिलाओं को उम्मीदवार नहीं बनाया. काबिलियत के बावजूद पार्टियां महिलाओं पर भरोसा नहीं करती हैं.
UP Assembly Election 2022: महिला सशक्तिकरण और आधी आबादी की बात तो सभी राजनीतिक पार्टियां करती हैं लेकिन चुनाव में महिलाओं की भागीदारी न के बराबर है. राजनीतिक पार्टियां उन्हें टिकट देने से हमेशा बचती नजर आती है. बात करें अगर उत्तर प्रदेश के बरेली की तो बरेली में 9 विधानसभा हैं लेकिन आज तक यहां पर किसी भी पार्टी ने महिलाओं को उम्मीदवार नहीं बनाया. ऐसा नहीं कि बरेली में महिलाओं में काबिलियत नहीं लेकिन उसके बावजूद पार्टियां महिलाओं पर भरोसा नहीं करती हैं.
बीजेपी नेता ने क्या कहा
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और चौथी बार पार्षद बनीं शालिनी जौहरी का कहना है कि महिलाओं में नेतृत्व करने की एक बहुत बड़ी क्षमता होती है. मैनेजमेंट सम्हालना महिलाओ से ज्यादा कोई नहीं जानता, घर का मैनेजमेंट हो, बाहर का मैनेजमेंट हो या आप कही काम करने जा रही हो उसका मैनेजमेंट हो वो सारा कुछ जिस प्रकार से महिलायें सम्हालती हैं उतना अच्छे से कोई नहीं सम्हाल सकता. अगर सामाजिक तौर पर भी देखे तो अगर किसी की पत्नी की मौत हो जाती है तो कहते है घर बिखर गया और अगर किसी पुरुष के मौत होती है तो महिला अपना घर, अपने बच्चे और सबकुछ सम्हालती है. वही पुरुष को जरूरत पड़ती है कि वो दूसरी शादी करता है.
शालिनी ने कहा जब महिलाओं के बगैर घर नहीं चल सकता तो देश का भी मैनेजमेंट आपके पास रहे तो आप अच्छे से सम्हाल सकती है. महिलाओं के लिए रिजर्वेशन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अभी तक किसी भी महिला को किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो ये सोच बदली है और महिलाओं को बहुत आगे तक लाने की बात भी हो रही है. शहर विधानसभा से मैंने आवेदन किया है. जहां तक महिलाओ को टिकट न देने की बात है तो उसकी वजह ये है कि जब भी कोई महिला पार्षद या प्रधान बनती है तो उसपर वर्चस्व पुरुष का ही होता है.
शालिनी ने कहा कि, मेरा मानना है कि महिलाओं को अपने नाम को कहीं भी इस्तेमाल करने के लिए नहीं देना चाहिए. ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं सुषमा स्वराज, अंतरिक्ष पर जाने वाली कल्पना चावला ऐसे बहुत सारे नाम हैं जिन्होंने बहुत अच्छा काम किया है और आज वो अपने ही नाम से पहचानी जाती हैं. राजनीति में सरोजनी नायडू रही. पुराने समय की बात की जाए तो रानी लक्ष्मीबाई और जीजाबाई रहीं जो अपने नाम से पहचानी जाती हैं.
कांग्रेस नेता ने क्या कहा
कांग्रेस की नेता, पूर्व मेयर और वरिष्ठ पत्रकार सुप्रिया ऐरन का कहना है कि मुझे लगता है कि आज तक किसी ने भी आधी आबादी की बात नहीं की. प्रियंका गांधी जी की मैं पहल मानूंगी कि उन्होंने लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा दिया तो उसके बाद सभी पार्टियों का महिलाओ पर भरोसा बढ़ गया है. हमारे पुरुष प्रधान समाज में ये सोचा जाता है कि महिलाएं केवल घर सम्हालने के लिए होती हैं. पुरुष बाहर का काम करते है, लेकिन जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं तो और भी महिलाएं आगे आईं, जिसमे जयललिता, ममता बनर्जी, मायावती जी रहीं जिन्होंने जब पद लिया तो पूरी निष्ठा से काम किया.
सुप्रिया ऐरन ने कहा कि इसलिए हमें सोच बदलनी होगी. लड़कियां पढ़-लिखकर आगे आयें और राजनीति में कदम बढ़ाए. हमारी पार्टी ने 40 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है. इससे एक उम्मीद महिलाओं में जगी है. राजीव गांधी जी जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने 74वां संशोधन किया था उसके तहत महिलाओ को रिजर्वेशन दिया गया था. नगर निकायों में महिलाओ के लिए सीट रिजर्व की थी जिससे मैने मेयर का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उन्होंने कहा कि लेकिन विधानसभा और लोकसभा में कभी भी रिजर्वेशन नहीं हो सका, उसकी वजह ये है कि पुरुषों को डर लगता है. पति को लगता है कि अगर पत्नी आगे बढ़ गई तो घर कैसे चलेगा. इसके लिए हमें लड़कियों को आगे बढ़ाना होगा. उन्हें पढ़ाना होगा और उन्हें हिम्मत देनी होगी. हमे लड़के लड़कियों में भेद नहीं रखना होगा.
गीता शाक्य ने क्या कहा
महिला सम्मेलन में पहुचीं प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य का कहना है कि कांग्रेस के पास प्रत्याशी नहीं है इसलिए वो 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने की बात कह रही है लेकिन हम हर उस महिला को टिकट देंगे जो चुनाव लड़ने में सक्षम होगी और हो सकता है वे 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हों. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकसभा में कांग्रेस की केवल एक महिला सांसद है वो हैं सोनिया गांधी. उन्होंने कहा कि अभी जिला पंचायत के चुनाव हुए उसमे 75 जिलों में से 40 में महिला जीतीं और जिसमे 36 बीजेपी की प्रत्याशी थीं.