नई दिल्ली। पूंजीगत बाजार में निवेश के जोखिम होते हैं। इक्विटी या म्यूचअल फंड में निवेश करते समय कई बातों का ध्यान में रखना जरूरी होता है। हालांकि इसमें गारंटी नहीं दी जा सकती है कि आपको सही रिटर्न मिलेगा। लेकिन कई ऐसी बातें हैं जिनको ध्यान में रखा जाये तो आपको बेहतर लाभ मिल सकता है।


म्यूचुअल फंड में निवेश को बेहतर विकल्प माना जा सकता है। यहां आप कम धनराशि का निवेश करके बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। यह निवेश करने का सुविधाजनक तरीका है, जिसे फंड मैनेजर्स की देखरेख में किया जा सकता है। पेशेवर फंड मैनेजर आपको बताता है कि किस म्यूचुअल फंड में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद है।


निवेश के लिये सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान जिसे आप एसआईपी कहते हैं, जो एक निवेशक को नियमित और अनुशासित तौर पर निवेश करने में मदद करता है। हम आज आपको बताते हैं कि किस तरह से आप एसआईपी में निवेश कर इसका लाभ उठा सकते हैं।


टॉप अप एसआईपी
इसके जरिये आप एक निश्चित समय के लिये (दैनिक, मासिक और त्रैमासिक) निश्चित फंड का निवेश कर सकते हैं। इसकी सबकी बड़ी खूबी है कि जैसे जैसे आपकी आय बढ़े, आप एसआईपी में की जाने वाली निवेश की रकम भी बढ़ा सकते हैं। एक एसआईपी टॉप अप आपको मासिक निवेश की राशि को समय-समय पर बढ़ाने की सुविधा देता है। एसआईपी टॉप-अप को हर साल फीसदी या एक तय धनराशि में तय किया जा सकता है। एसआईपी में न्यूनतम 500 रुपये से और 500 रुपये के गुणक में इसे कितना भी बढ़ा सकते हैं।


परिवर्तनीय एसआईपी
इसके तहत निवेशक को हर महीने अपने निवेश की धनराशि को बदलने की सहूलियत मिलती है। अगर निवेशक एक निश्चित राशि का निवेश नहीं करना चाहते हैं, और अपने निवेश पर अधिक नियंत्रण चाहते हैं, तो वे एक फ्लेक्सी एसआईपी का विकल्प चुन सकते हैं। इसके जरिए कोई निवेशक अपने एसआईपी की रकम को बढ़ा घटा सकता है।


स्मार्ट एसआईपी
स्मार्ट निवेशक वे होते हैं जो उस समय अपना निवेश बढ़ा देते हैं, जब बाजार गिर रहा हो। वहीं, जब बाजार का वैल्युएशन फेयर हो, उस दौरान ये निवेश जारी रखते हैं या उसे होल्ड कर रखते हैं। जब बाजार बहुत ज्यादा महंगा हो जाए तो उस दौरान अतिरिक्त निवेश से बचते हैं या या बिकवाली करते हैं।


इसी तरह से स्मार्ट एसआईपी आपका मासिक एसआईपी अमाउंट इक्विटी म्यूचुअल फंड में दोगुना कर देते हैं, जब बाजार सस्ता हो गया होता है। वहीं, जब फेयर वेल्यू हो तो वे निवेश करना जारी रखते हैं। वहीं, जब बाजार महंगा हो जाता है तो कोई भी नया निवेश रोक देते हैं या ऐसी कंडीशन में प्रॉफिट बुकिंग करते हैं।