(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Election 2022: कानपुर की सबसे हाई प्रोफाइल है ये सीट, क्या BJP भेद सकेगी सपा का ये अजेय किला?
UP Elections: इस बार बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी सलिल विश्नोई को यहां से उम्मीदवार बनाने के निर्देश दे दिए हैं.
UP Assembly Election 2022: कानपुर महानगर की 10 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल सीटों में सीसामऊ विधानसभा गिनी जाती है. पिछले 25 सालों से ही सीसामऊ विधानसभा समाजवादी पार्टी का किला बनी हुई है. भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस और बीएसपी ने इस किले में सेंधमारी की कई कोशिशें की है लेकिन सभी असफल साबित हुई. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने कद्दावर नेता प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी सलिल विश्नोई को यहां से उम्मीदवार बनाने के निर्देश दे दिए हैं. ऐसे में सलिल विश्नोई ने डोर टू डोर कैंपेन भी शुरू कर दिया है. आर्य नगर विधानसभा से पिछली बार चुनावों में मुंह की खाने वाले सलिल विश्नोई इसबार सीसामऊ विधानसभा पहुंचते ही राम मंदिर का राग अलाप रहे हैं.
मंदिर राग अलापा जा रहा
भारतीय जनता पार्टी द्वारा किलेबंदी की शुरुआत के बाद तीन बार से सीसामऊ से विधायक चुने जा रहे इरफान सोलंकी ने भी मंदिरों पर होने वाली राजनीति की आहट के बीच मंदिर राग अलापना शुरू किया है. इरफान सोलंकी का कहना है कि बीजेपी की राजनीति हिंदू मुस्लिम के बीच बंटवारा करने वाली है लेकिन जहां मंदिरों की बात आती है तो सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र का अति प्राचीन वन खंडेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार 50 लाख रुपए देकर इरफान सोलंकी ने करवाया है और जिसकी गवाही यहां लगे पत्थर भी देते हैं.
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों की माने तो जिस तरह से बीजेपी ने सलिल विश्नोई को आर्यनगर से हटाकर सीसामऊ विधानसभा में शिफ्ट किया है तो स्वाभाविक है कि मंदिर के मुद्दे पर सियासत होगी क्योंकि कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे इस विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम बहुल इलाकों में जीर्ण हालत में पड़े मंदिरों के जीर्णोधार का मुद्दा उठाकर इसे हिंदू मुस्लिम रंग देने की शुरुआत पिछले साल कर चुकी हैं.
पिछली बार कम वोट से जीती थी सपा
इरफान से पहले उनके पिता हाजी मुस्ताक सोलंकी भी दो बार विधायक रहे. पिछले तीन बार से क्षेत्र की जनता इरफान सोलंकी पर भरोसा जताती आ रही है. ऐसे में कानपुर महानगर की शहरी सीट सीसामऊ विधानसभा समाजवादी पार्टी के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है. हालांकि पिछली बार बेहद कम वोट से इरफान जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी की चाल और क्षेत्र में बन रहे कांग्रेस और बीएसपी के समीकरण इरफान की चिंता बढ़ा रहे हैं. सलिल विश्नोई 3 बार के विधायक हैं. साथ ही ऐसा माना जाता है कि सलिल विश्नोई भारतीय जनता पार्टी के ऐसे नेता और विधायक रहे है जिन्हें मुस्लिम भी पसंद करते हैं. ऐसे में इरफान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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