Sisamau ByPoll 2024: सीसामऊ में सोलंकी परिवार का दबदबा बरकरार, नहीं चला बीजपी का जादू, सामने आई ये बड़ी वजह
UP News: उत्तर प्रदेश उपचुनाव में भाजपा सपा के गढ़ में सेंध लगाने में नाकाम रही. कानपुर की सीसामऊ सीट पर भाजपा के सभी प्रयास विफल रहे. दलित मतदाता भी बीजेपी से नाराज थे.
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UP By Election Result 2024: उपचुनाव में बीजेपी सपा के गढ़ में सेंधमारी की फिराक में थी, सियासी बिसात बिछा ली गई थी. उनमें से एक कानपुर की सीसामऊ सीट भी थी, यूपी की सभी 9 सीटों के लिए हर तरह के प्रयास किए गए थे. लेकिन कानपुर की सीट पर बीजेपी के सभी पैंतरे बेकार साबित हुए. बीजेपी की बड़ी बड़ी जनसभाएं, बड़े बड़े दिग्गजों के रोड शो, और कई मंत्रियों के प्रवास जनता के जनादेश के सामने फेल हो गए. पिछले 22 साल से जिस सपा और सोलंकी परिवार का सीसामऊ सीट पर कब्जा बना हुआ था, उसे बीजेपी हथियाने में नाकाम साबित हुई.
सीसामऊ सीट कहने के लिए मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका वाली सीट कहलाती है. लेकिन ऐसा महज कयास है. क्योंकि इस सीट पर 40 प्रतिशत ही मुस्लिम मतदाता है, बाकी के 60 प्रतिशत में हिंदू मतदाता ही है. बावजूद सपा की जीत इतने लंबे समय से बीजेपी के लिए समझ से दूर थी, इस सीट पर बीजेपी ने हिन्दू मतदाताओं को जोड़कर जीत हासिल कारण के लिए कटेंगे तो बंटेंगे जैसे नारे भी दिए, पोस्टर भी लगे.
बीजेपी की सीसामऊ में हार की कई वजह
सपा प्रत्याशी का शिव मंदिर में जलाभिषेक करना और फिर मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करना सपा के लिए फायदेमंद और बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ. क्योंकि नसीम के मंदिर जाने से गंगाजल लेकर मंदिर को शुद्ध किए जाने से दलित मतदाता भी बीजेपी से नाराज हुआ. जात पात के भेदभाव से लंबे समय से जूझ रहा दलित वर्ग इस कांड के बाद बीजेपी से दूर होता चल गया. नसीम का एक महिला होना और परेशान होने के चलते मतदाताओं में एक महिला प्रत्याशी के साथ एक सॉफ्ट कॉर्नर भी जुड़ गया.
बीजेपी के प्रत्याशी का चयन भी बनी वजह
बीजेपी ने जिस तरह से सीसामऊ सीट को नाक का सवाल और बात बना लिया था, उसे देखते हुए प्रत्याशी का सही चयन राजनीतिक विशेषज्ञ नहीं मानते. दो बार विधानसभा में हार चुके प्रत्याशी पर तीसरी बार दांव लगाना भी हार की वजह मानी जा रही है. इसके साथ ही पार्टी में अंतर्कलह ने भी इस चुनाव में हार के कारण बने. एक सांसद और एक पूर्व विधायक बीजेपी के घोषित प्रत्याशी और उसके फैसले से नाराज माने जा रहे थे, जिन्होंने अंदर खाने से चुनाव में मेहनत ही नहीं की.
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