बहन ने दिया भाई की अर्थी को कंधा, मुखाग्नि देकर तोड़ी रूढ़िवादी परंपराएं
इस दृश्य को देखकर भाई के प्रति बहन के प्यार को सभी ने सराहा और निर्णय की प्रशंसा की। मामला रामनगर के मलहिया का है, जहां भाई की मौत की खबर सुनकर बहन जब मायके पहुंची तो अर्थी को कंधा देने वाला कोई न था।
वाराणसी, एबीपी गंगा। कुछ ऐसी परंपराएं जो आपको लाचार और मजबूर बना देती है।लेकिन वक्त की अपनी अहमियत होती है, जिसके चलते ये बदलाव होते हैं। ऐसी ही सोच पर प्रहार करते हुए शनिवार को एक बहन ने अपने इकलौते भाई की अर्थी को कंधा दिया। इस दृश्य को देखकर भाई के प्रति बहन के प्यार को सभी ने सराहा और निर्णय की प्रशंसा की। मामला रामनगर के मलहिया का है, जहां भाई की मौत की खबर सुनकर बहन जब मायके पहुंची तो अर्थी को कंधा देने वाला कोई न था।
तब उसने शव को कंधा देने का फैसला किया। बहन को अकेले देखकर पड़ोस की महिलाएं भी आगे आईं और उसके साथ कंधा दिया। अर्थी लेकर निकलीं महिलाएं कुछ दूर गई होंगी कि यह दृश्य देख कर आसपास के लोग चौंक पड़े, फिर पार्षद सहित कई अन्य आगे आए अर्थी को कंधा देने।
रामनगर के मलहिया टोला निवासी वैरागी उर्फ खिसियावन (50) की मौत शुक्रवार रात हो गया। बहन सुनीता को खबर लगी तो बिलखती हुई पति सुमेद निषाद संग पहुंची। परिवार में दूसरा कोई नहीं था, जो अर्थी को कंधा दे। चार लोगों की जरूरत, जबकि अर्थी उठाने के लिए सिर्फ सुनीता के पति सुमेद। ऐसे में बहन ने अर्थी को कंधा देने की ठानी। उसका जज्बा देख पड़ोस के लड़कों ने लकड़ी जुटाई। फिर अर्थी तैयार हुई तो सुनीता उसे श्मशान ले जाने आगे बढ़ी। यह देख पड़ोस की मंजू, कुमुद, तारा, मुन्नी, कंचन आगे आईं। महिलाएं अर्थी लेकर राम नाम सत्य बोलते शास्त्रीचौक से गुजरीं तो पार्षद संतोष का साथ मिला। सभासद मुन्ना निषाद, आकाश, बबलू साहनी, आदि भी आगे आए। महिलाओं संग बहन अर्थी लेकर श्मशान घाट पहुंची और शव को मुखाग्नि दी।