एसआईटी ने की सिफारिश, प्रवर्तन निदेशालय करे विकास दुबे की 150 करोड़ रुपये की संपत्ति की जांच
अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी ने गैंगस्टर की अवैध तरीके से हासिल की गई 150 करोड़ रुपये की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय से गहराई से जांच कराए जाने की सिफारिश की है.
लखनऊ: कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की सामूहिक हत्या की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस घटना के मास्टरमाइंड रहे विकास दुबे की 150 करोड़ रुपये की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय से जांच की सिफारिश की है. दुबे इसी साल 10 जुलाई को एसटीएफ के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया था.
प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराए जाने की सिफारिश अधिकारियों ने बताया कि अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी ने गैंगस्टर की अवैध तरीके से हासिल की गई 150 करोड़ रुपये की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय से गहराई से जांच कराए जाने की सिफारिश की है. एसआईटी ने पिछले महीने के शुरू में सरकार को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में ये भी कहा है कि दुबे और उसके गैंग की मदद करने वाले सभी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए. जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुबे को मुखबिरी के चलते पहले से ही पुलिस की दबिश के बारे में जानकारी मिल गई थी.
पुलिस टीम पर की ताबड़तोड़ फायरिंग गत दो-तीन जुलाई की मध्यरात्रि कानपुर के बिकरू गांव में दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस टीम पर गैंगस्टर के साथियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं जिसमें एक क्षेत्राधिकारी और एक थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. गोलीकांड में पांच पुलिसकर्मी, एक होमगार्ड और एक आम नागरिक घायल हुआ था.
700 पन्ने की जांच रिपोर्ट घटना की जांच के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय एसआईटी की जांच रिपोर्ट में 80 से अधिक पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मियों को दोषी पाया गया है. जांच रिपोर्ट के करीब 700 पन्ने मुख्य हैं, जिनमें दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मियों की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां शामिल हैं.
12 जुलाई 2020 को एसआईटी जांच शुरू की गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 100 से ज्यादा गवाहियों के आधार पर एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार की है. 12 जुलाई 2020 को एसआईटी ने अपनी जांच शुरू की जो 20 अक्टूबर को पूरी हुई. अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने मुख्य रूप से नौ बिंदुओं पर जांच को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की है. एसआईटी को 31 जुलाई को जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपनी थी, लेकिन गवाहियों का आधार बढ़ने के कारण ये 20 अक्टूबर को पूरी की जा सकी.
पुलिस के ही लोग मुखबिरी करते थे आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच में सामने आया है कि पुलिस के ही लोग विकास दुबे के लिए मुखबिरी करते थे और घटना की रात गैंगस्टर को पहले से ही मालूम था कि उसके घर पर पुलिस की छापेमारी होने वाली है. सूत्रों का कहना है कि जांच में दुबे के घर पुलिस टीम के दबिश देने की सूचना पहले ही लीक कर दिए जाने से जुड़े कई तथ्य उजागर हुए हैं. दुबे के कथित मुठभेड़ में मारे जाने के बाद 11 जुलाई को एसआईटी का गठन किया गया थ.
ये भी पढ़ें: