देहरादून, एबीपी गंगा। एबीपी गंगा के खास कार्यक्रम 'प्रवाह' के मंच विचारों का मंथन जारी है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 'प्रवाह' कार्यक्रम के जरिए एबीपी गांगा की टीम राज्य से जुड़े उन तमाम मु्द्दों पर नेताओं से उनका पक्ष जानने की कोशिश कर रही है जिनका सीधा सरोकार आम लोगों से हैं।


एबीपी गंगा के खास कार्यक्रम 'प्रवाह' के स्पेशल सेशन 'पहाड़ पर हांफता विकास' में राजनीति के दिग्गजों से चर्चा हुई। इस चर्चा में मुख्य वक्ता के तौर पर राज्य के वन मंत्री हरक सिंह रावत, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, पर्यावरणविद अनिल जोशी, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना मौजूद रहे।



चर्चा के दौरान विकास योजनाओं को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य बनने से पहले और आज के हालात में काफी कुछ बदला है। शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव आए हैं और गांवों तक सड़कों का जाल बिछा है। लोगों तक बुनियादी सहूलियतें आसानी पहुंची हैं और उत्तराखंड ने कई क्षेत्रों में बेहतर विकास किया है। टूरिज्म सेक्टर पर विशेष ध्यान दिया गया है और पलायन रोकने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं।



वन मंत्री हरक सिंह रावत ने आम लोगों से जुड़ी योजनाओं को लेकर कहा कि कई क्षेत्रों में सरकार ने बड़े स्तर पर काम किया है। बिजली, पानी और सड़कों को लेकर बहुत काम हुआ है। पलायन पर बोलते हुए रावत ने कहा कि यह बड़ी समस्या है और विकास कार्यों के बाद भी कुक्ष इलाकों से पलायन को लेकर चौकाने वाली रिपोर्ट आई है। रावत ने कहा कि क्षेत्र के हिसाब से विकास को लेकर प्लानिंग जरूरी है।


चर्चा के दौरान प्रवाह के मंच से कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में सबसे बड़ी समस्या पॉलिसी पैरालाइसिस की है। स्वास्थय सेवाओं का हाल बेहाल है। सूर्यकांत ने कहा कि खेती को लेकर प्लानिंग नहीं हुई और किसानों की संस्याओं पर भी ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में विकास इतना हांफता है कि नेता भी नेता भी पलायन कर जाते हैं।



पर्यावरणविद अनिल जोशी ने एबीपी गंगा के खास कार्यक्रम प्रवाह में कहा कि अलग राज्य बनने का लाभ लोगों को नहीं मिला और सरकारें भी इसका लाभ नहीं उठा पाईं। जोशी ने हिमाचल प्रदेश भी पहाड़ी राज्य है लेकिन उसकी स्थिति उत्तराखंड से बेहतर है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए बाजार की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है। जोशी ने यह भी कहा कि उत्तराखंड में विकास का मापदंड अलग होना चाहिए और अनियोजित विकास के लिए हम सब दोषी हैं।