Padma Awards 2022: वाराणसी की छह हस्तियों को मिले पद्म पुरस्कार, अपने-अपने क्षेत्र में हासिल है महारत
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार की ओर से पद्म पुरस्कारों का एलान किया गया. इनमें वाराणसी से 6 नामों का चयन किया गया है. ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में महारत हासिल कर चुके हैं.
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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार की ओर से पद्म पुरस्कारों का एलान किया गया. इनमें वाराणसी से 6 नामों का चयन किया गया है. गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष और सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा गया. उनके अलावा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति व न्याय शास्त्र के विद्वान प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, बीएचयू के मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर डा. कमलाकर त्रिपाठी को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा हुई है, वहीं 125 वर्षीय योग गुरु शिवानंद स्वामी, बनारस घराने के ख्याति सितार वादक पं. शिवनाथ मिश्र और जानी मानी कजरी गायिका अजीता श्रीवास्तव को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है.
स्वर्गीय राधेश्याम खेमका
स्वर्गीय राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उनका जन्म 1935 में बिहार के मुंगेर में हुआ था. 1956 में वो अपने परिवार के साथ वाराणसी में रहने लगे थे. बीएचयू से MA. संस्कृत व साहित्य रत्न की उपाधि ली. वो लगभग 40 वर्षों तक गोरखपुर के गीता प्रेस से जुड़े रहे, 8 वर्षों तक कल्याण पत्रिका के मुख्य संपादक भी रहे. पिछले वर्ष 3 अप्रैल को काशी के केदार घाट पर उन्होंने अंतिम सांस ली.
पंडित शिवनाथ मिश्र
वैश्विक स्तर पर अपनी खास पहचान रखने वाली काशी के खाते में इस बार पद्म पुरस्कारों की भरमार है. इनमें एक नाम पंडित शिवनाथ मिश्र का है जो कि पंडित रविशंकर के बाद काशी में सितार विधा को जिंदा रखे हुए हैं. पंंडित शिवनाथ मिश्र का जन्म 12 अक्टूबर 1943 को हुआ था. 12 वर्ष की उम्र में इन्होंने सितार विधा को अपनी जीवनी मान लिया. बनारस के संपूर्णनानंद से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने प्रयाग संगीत प्रवीण किया. पंडित शिवनाथ मिश्र को विदेशों में भी कई अवॉर्ड मिल चुके हैं और अब भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री दिया है.
योग गुरु बाबा शिवानंद स्वामी
योग गुरु बाबा शिवानंद को भी पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इन्होंने महज 4 वर्ष की अवस्था से योग शिक्षा शुरू कर दी दी थी और लगातार 125 सालों से योग साधना करते आ रहे हैं. दुर्गाकुंड पर रहने वाले बाबा शिवानंद अब भी नित्य योगासन करते हैं. बाबा का जीवन में अनुशासन की मिसाल है. दुनिया भर में उनके शिष्य योग साधना की सेवा में तत्पर रहते हैं. बाबा कभी स्कूल नहीं गए मगर अंग्रेजी पढ़ने में बोलने में महारत हासिल है. बाबा शिवानंद की दिनचर्या भोर में 3:00 बजे से शुरू हो जाती है नित्य कर्म के बाद शिव मंत्र का ध्यान करते हैं फिर सुबह 5:00 बजे से योगासन करते हैं बाबा सिर्फ उबला हुआ खाना खाते हैं और गरीबों की हमेशा मदद करते हैं.
प्रोफेसर कमलाकर त्रिपाठी
72 वर्षीय नेफ्रोलॉजिस्ट प्रोफेसर कमलाकर त्रिपाठी को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया है. 2016 में बीएचयू से रिटायर होने के बाद वो अब भी अपने घर पर ही मरीजों को देखते हैं. प्रोफेसर कमलाकर की प्रारंभिक शिक्षा उनके पैतृक गांव स्थित मदरसे से शुरू हुई. पांचवी के बाद उन्होंने गोरखपुर के जुबली कॉलेज से इंटर तक की पढ़ाई और गोरखपुर यूनिवर्सिटी से बीएससी किया. इसके बाद वो बनारस आ गए. 1969 में उनकी बीएचयू के मेडिसिन विभाग में नियुक्ति हुई. उन्होंने लंदन से नेफ्रोलॉजी की ट्रेनिंग ली. प्रोफेसर कमलाकर त्रिपाठी के नाम बीएचयू में एक समय में ओपीडी में 100 से अधिक शुगर मरीज देखने का रिकॉर्ड रहा है. उनका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हो चुका है.
पंडित वशिष्ट त्रिपाठी
पंडित वशिष्ट त्रिपाठी पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. देवरिया के पथरदेवा में 1940 में जन्मे पंडित वशिष्ट त्रिपाठी ने गांव की पाठशाला में संस्कृत के शिखर तक का सफर तय किया. 20 वर्ष की आयु से ही ग्रंथों के अध्यापन से उन्होंने अपना लोहा मनवाया. आज भी वो प्रतिदिन 16 घंटे शास्त्र चर्चा व अध्यापन कार्य करते हैं. 2004 में राष्ट्रपति पुरस्कार के साथ ही उन्हें संस्कृत साधना के क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं.
अजीता श्रीवास्तव
जानी मानी कजरी गायिका अजीता श्रीवास्तव को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है. उनका जन्म बनारस में हुआ. वो मिर्जापुर के आर्य कन्या इंटर कालेज में प्रवक्ता हैं और चार दशकों से लोक संगीत के क्षेत्र में साधनारत है. उन्होंने कजरी गायिकी में अपनी अलग ही पहचान बनाई है. वो अब तक हजारों बच्चों को संगीत की शिक्षा दे चुकी हैं.
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