गाजियाबाद: एक शिक्षक ही अपने घर में अंधेरा करके दूसरों के घर में रोशनी कर सकता है. घर में भले ही अंधेरा हो गया लेकिन उन्होंने जाते-जाते छह परिवारों के घर में रोशनी कर दी. परवीन दुबई में शिक्षक के रूप में कार्यरत थीं. इसके साथ-साथ उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं.


ब्रेन डेड हो गई थीं रफत परवीन


गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली सैयद रफत परवीन को पिछले हफ्ते मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं के रक्तस्राव से पीड़ित होना पड़ा. एक बहु-विषयक टीम के निरंतर प्रयासों के बावजूद, वैशाली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी. उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. महिला के परिवार से परामर्श के बाद अंग दान के लिए सहमति दी. उनके दिल, गुर्दे और जिगर काटा गया. मैक्स के डॉक्टर के परामर्श के बाद और परिवार की सहमति मिलने के बाद, उन्होंने तुरंत राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन को सूचित किया. जिसने अंगों को आवंटित किया.


वहीं मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बताया कि वह एक मुस्लिम धर्म से थी किंतु जिन्हें यह अंग दान किए है, वह सारे हिन्दू थे, इसलिए खून का कोई धर्म नहीं होता है. इनकी एक किडनी साकेत के अस्पताल को गई, और इनका हार्ट गुडगांव को गया. इनकी आंखे भी एक संस्था को गई. इनका लीवर और एक किडनी मैक्स अस्पताल कौशांबी को गया. इन्होंने चार ज़िंदगी बचाई और अपनी रोशनी दान करके छह ज़िंदगी बचाईं.


हृदय को ग्रीन कॉरिडोर के जरिये मैक्स साकेत भिजवाया


विभिन्न टीमों ने प्राप्त अंगों की कटाई और प्रत्यारोपण के लिए काम किया. हृदय को एम्बुलेंस के माध्यम से ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत में स्थानांतरित किया गया था, जहां प्रत्यारोपण आयोजित किया गया था. हमारे अस्पताल में भर्ती दो जरूरतमंद मरीजों में एक किडनी और लीवर का प्रत्यारोपण किया गया था.


अंग पाने वालों के रिश्तेदारों ने कहा शुक्रिया


उषा श्रीवास्तव के रिश्तेदार वरुण श्रीवास्तव ने कहा कि आज अचानक हमारी मौसी को दोबारा जिंदगी मिली है. जिस तरीके से लीवर ट्रांसप्लांट के बाद हमारे पूरे परिवार ने राहत की सांस ली है, इसके लिए मैं सैयद रफत परवीन जी के पूरे परिवार का और उनका जिंदगी भर शुक्रगुजार रहूंगा.


सुमन प्रधान ने बातचीत में कहा कि जिस तरीके से मेरी पत्नी का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है, उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है. सुमन प्रधान की पत्नी पिछले 4 साल से डायलिसिस पर हैं. हमने 4 साल से किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अप्लाई किया था और आज मेरी पत्नी को नई जिंदगी मिली है. उनका जितना आभार किया जाए वह कम है, वह खुद तो चले गए पर हमारे घर में रोशनी की किरण बिखेर गए.


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