आगरा, नितिन उपाध्याय। सूबे की प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बड़े दावे करती है, पर सही मायने में जमीनी हकीकत क्या है, आगरा से आई ये खबर साबित कर देती है। जहां स्थानीय अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से मरीजों की जिंदगी के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहे हैं। हालात ये हैं कि खुद सरकारी अस्पताल ही मरीजों को इलाज की जगह बिमारी का तोहफा बांट रहा है।


प्रदेश सरकार स्वास्थ सेवाओं को लेकर कहना है कि वो पूरा ध्यान रखते हैं कि अस्पतालों में मरीजों को बेहतर से बेहतर सुविधा मिले और मरीज स्वस्थ होकर अस्पताल से अपने घर वापिस जाए, लेकिन आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में तस्वीर कुछ अलग ही देखने को मिला, यहां मरीज इलाज के लिए तो आता है, मगर बीमारी ठीक होने के जगह अन्य बीमारियां लेकर जाता है।


ऐसा हम क्यों कह रहे हैं, इसकी हकीकत भी जान लीजिये। दरअसल, मरीजों की देखरेख से लेकर ऑपरेशन तक के लिए जिन कपड़ों का इस्तमाल किया जाता है, वो कपड़े ही मरीजों को संक्रामक रोग बांट रहे हैं , यकीन न आये तो ये पूरी रिपोर्ट पढ़िए



एसएन मेडिकल कॉलेज में गंदे नाले के सहारे ऑपरेशन थिएटर (ओटी) के कपड़े और चादरें धुली जा रही हैं। इससे एसएन में भर्ती हो रहे मरीजों में हॉस्पिटल एक्वायर्ड इन्फेक्शन (अस्पातल में भर्ती होने पर फैलने वाला इन्फेक्शन) फैल रहा है। जिस बीमारी से मरीज भर्ती हो रहे हैं, उसके साथ कई अन्य संक्रमण लग रहे हैं। ऐसे में मरीजों को 10 से 20 दिन वॉर्ड में भर्ती रहना पड़ रहा है। एसएन परिसर से गंदा नाला गुजर रहा है। इस नाले के बगल में बाल रोग विभाग के पीछे ओटी के कपड़े और चादर की धुलाई होती है।


कर्मचारी गंदे नाले से निकली शिल्ट पर ही कपड़े और चादरों को धोकर सुखाने डाल देते है, जिसके चारों ओर गंदगी का अम्बार लगा रहता है। इस गंदगी के बीच में ही कपड़ों की धुलाई की जाती है। कपड़े धोने वाले कर्मचारी इस बात को कहते हैं कि वो जानते है ये गलत है, इससे मरीजों को खतरा है। मगर वो करें भी तो क्या। अस्पताल उनकी कोई सुनवाई नहीं करता, ऐसे में मरीज मरता है तो मरे वो क्या करें।


आंखों पर पट्टी बांधकर बैठा एसएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन हर बार की तरह इस बार भी अनजान बनते हुए जल्द ही नया धोबी घाट बनाने की बात कहता नजर आता है। वहीं, बड़ी सफाई से झूठ बोलकर कहते हैं कि सभी कपड़े साफ सुथरी जगह और डंडों और रस्सियों पर सुखाए जाते हैं।



अब इस खबर को पढ़ने के बाद आप ही अंदाजा लगा लीजिये कि किस तरह से गरीब मरीजों को खुद एसएन अस्पताल प्रशासन ही बिमारी बांटने का काम कर रहा है और सरकार का आदेश ठेंगे पर रख रहा है और हद तो इस बात की है, कि वो झूठ भी बड़ी सफाई से पेश करता नजर आ रहा है। अब इन पर कार्यवाही कौन करेगा ये बड़ा सवाल है। हालांकि सिटी मजिस्ट्रेट का कहना है कि सम्बंधित विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में ये मामला लाया जाएगा।



ऐसे में सवाल ये है कि सैकड़ों करोड़ रुपये जिस मेडिकल कॉलेज में मरीजों की व्यवस्था के लिए आते हों, वहां इस तरह स्थिति वाकई सरकार के दावों पर सवाल खड़े करती है।


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