Uttarakhand News Today: नए साल का जश्न मनाने के लिए उत्तराखंड का मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने वाला चोपता पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन गया है. चोपता-दुगलबिट्टा के बुग्यालों ने बर्फ की मोटी सफेद चादर ओढ़ ली है और यहां की खूबसूरत वादियों में हजारों पर्यटक नए साल का स्वागत करने पहुंच रहे हैं. लगातार हो रही बर्फबारी ने इस क्षेत्र को और भी रमणीय बना दिया है.


चोपता और दुगलबिट्टा में हो रही बर्फबारी का आनंद लेने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. यहां स्थित टेंट और हट्स की बुकिंग पहले ही हो गई, सभी होटल में रूम फुल है. स्थानीय व्यापारियों के लिए यह समय किसी उत्सव से कम नहीं है क्योंकि पर्यटकों की भीड़ ने उनके कारोबार को नई ऊर्जा दी है.


'धरती का स्वर्ग है चोपता'
सैलानियों ने चोपता को धरती पर स्वर्ग जैसा अनुभव बताया. दिल्ली से आई श्रेया और प्रतीक ने कहा कि लाइव बर्फबारी ने उनके न्यू ईयर सेलिब्रेशन को यादगार बना दिया है. पर्यटक सोनाली और अमृता ने कहा, "चोपता की बर्फ से ढकी वादियों में आकर मन को सुकून और शांति का एहसास हो रहा है. यहां का वातावरण अद्भुत है."


चोपता केवल बर्फबारी के लिए ही नहीं बल्कि पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है. यहां 240 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें मोनाल, हिमालयी बुलबुल और अन्य दुर्लभ पक्षी शामिल हैं. पंजाब से आए पक्षी प्रेमी गुरेन्द्र जीत सिंह ने बताया कि बर्फबारी के बीच पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों को देखना एक अनोखा अनुभव है. उन्होंने कहा, "यह क्षेत्र जैव विविधता का खजाना है, लेकिन इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है."


चोपता से लगभग तीन किमी की दूरी पर स्थित तृतीय केदार तुंगनाथ धाम तक का ट्रेकिंग मार्ग भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है. बर्फ से ढके इस ट्रेक पर सैलानी पैदल चलकर मंदिर तक पहुंच रहे हैं. इस रोमांचक यात्रा ने पर्यटकों के अनुभव को और भी खास बना दिया है.


चोपता अंग्रेजों की खोज
मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से मशहूर चोपता को अंग्रेजों की खोज माना जाता है. यहां 1925 में बनाए गए अंग्रेजों के गेस्ट हाउस को आज भी लोक निर्माण विभागव ऊखीमठ द्वारा संचालित किया जाता है. इस क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता संगठनों ने एक महत्वपूर्ण पक्षी दर्शन स्थल घोषित किया है.


चोपता क्षेत्र में तेंदुआ, हिमालयी काला भालू, भूरा भालू, कस्तूरी मृग और मोनाल जैसे जंगली जानवर पाए जाते हैं. बर्फबारी के दौरान इस क्षेत्र में दुर्लभ स्नो लेपर्ड के दर्शन भी हो रहे हैं, जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं है.


पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय व्यवसायियों के चेहरे भी खिले हुए हैं. चोपता-दुगलबिट्टा के होटल और हट्स पूरी तरह बुक हैं. स्थानीय दुकानदार और गाइड भी इस मौके का लाभ उठा रहे हैं.


हालांकि, पर्यटकों की भारी भीड़ को देखते हुए क्षेत्र में सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने की जरूरत महसूस की जा रही है. गुरेन्द्र जीत सिंह जैसे पक्षी प्रेमियों ने पक्षियों और पर्यावरण के संरक्षण की अपील की है.


नए साल पर परफेक्ट डेस्टिनेशन
साल के आखिरी दिनों में चोपता की खूबसूरत वादियों में पर्यटकों ने बर्फबारी का आनंद लिया और नए साल का स्वागत करने की तैयारियां कीं. दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से आए सैलानियों ने कहा कि उन्होंने ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं किया है.


चोपता न केवल पर्यटकों के लिए एक खूबसूरत जगह है बल्कि यह राज्य के पर्यटन और जैव विविधता संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है. नए साल के मौके पर यहां आकर पर्यटकों ने एक बार फिर इसे देवभूमि के सबसे खास पर्यटन स्थलों में शुमार कर दिया है. नए साल के स्वागत की तैयारियों के बीच चोपता की बर्फ से ढकी वादियां और जीवंत जैव विविधता इसे प्रकृति प्रेमियों और रोमांच के शौकीनों के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन बना रही हैं.


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