'हाथरस में मृतकों के बच्चों को स्कॉलरशिप', समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण का बड़ा ऐलान
Hathras Stampede: हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई थी. हाथरस हादसे को लेकर अब समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण मृतकों के बच्चों को लेकर खास ऐलान किया है.
Hathras Satsang Stampede: हाथरस में 2 जुलाई को भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई थी. इस हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस हादसे के तुरंत बाद ही सीएम ने संज्ञान लेते हुए जांच के निर्देश दिए थे. जिसको लेकर एसआईटी टीम गठित की गई थी. एसआईटी टीम ने सरकार को रिपोर्ट भी सौंप दी है. अब समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने हाथरस में मृतकों के बच्चों को स्कॉलरशिप देने का ऐलान किया है.
हाथरस हादसे में मृतकों के बच्चों को स्कॉलरशिप का ऐलान करते हुए समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि हाथरस के वह प्रभारी मंत्री हैं. 121 लोगों की मौत हुई है, जिनके छोटे बच्चे हैं उन्हें ढाई हजार रुपए प्रतिमाह स्कॉलरशिप दी जा रही है. मंत्री के साथ क्षेत्रीय सांसद अनुराग शर्मा भी मौजूद थे.
मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख मुआवजे का ऐलान
हाथरस हादसे के तुरंत बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुआवजे का ऐलान किया था. सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाथरस हादसे में गांव गंवाने वाले लोगों के परिजन को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया था. सीएम योगी ने घायलों के बेहतर इलाज के लिए अधिकारियों को निर्देश दि. घटना की जांच को लेकर टीम गठित भी की गई थी.
सीएम ने की थी बड़ी कार्रवाई
हाथरस हादसे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने 9 जुलाई को बड़ी कार्रवाई की थी. सिकंदराराऊ तहसील क्षेत्र के 6 अधिकारियों को दोषी माना. सिकंदराराऊ एसडीम रविंद्र कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार, सीओ डॉक्टर आनंद कुमार, कोतवाली प्रभारी आशीष कुमार के साथ ही पोरा चौकी इंचार्ज बृजेश पांडे और कचौरा चौकी इंचार्ज मनवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया.
एसआईटी टीम ने सौंपी रिपोर्ट
हाथरस हादसे के बाद सीएम ने संज्ञान लेते हुए जांच को लेकर एक टीम गठित करने का ऐलान किया था. हाथरस के सिकंदराराऊ में घटित हादसे के तुरंत बाद गठित एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने 2,3 और 5 जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण किया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि जांच के दौरान कुल 125 लोगों का बयान लिया गया है, जिसमें प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी के साथ-साथ आम जनता और घटना पर मौजूद लोगों का बयान भी शामिल है. एसआईटी ने 9 जुलाई को लखनऊ में शासन को जांच की रिपोर्ट सौंप दी है.
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